नई दिल्ली। बिहार की मशूहर शाही लीची को कानूनी तौर पर जियोग्राफिकल इंडीकेशन टैग (जीआई) मिल गया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने स्वयं यह जानकारी दी।
औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) ने ट्वीट कर कहा कि बिहार की शाही लीची को जीआई (विशिष्ट भौगोलिक पहचान) पंजीकरण मिल गया है।
मुजफ्फरपुर, वैशाली, समस्तीपुर, चंपारण, बेगूसराय और बिहार के आसपास के क्षेत्र की जलवायु बिहार की शाही लीची की बागवानी के लिए सबसे अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराती है। यह लीची अपने आकार-प्रकार और गुणों की वजह से प्रसिद्ध है।
एक बार किसी उत्पाद को जीआई टैग मिलने के बाद कोई भी व्यक्ति या कंपनी इस इलाके के बाहर की लीची को कानूनी तौर पर इस नाम से नहीं बेच सकता है। यह पंजीकरण दस वर्ष के लिए है, जिसका आगे नवीकरण किया जा सकता है। जीआई विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के एक कानून के तहत आता है।
दार्जिलिंग चाय, महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू पॉट्री, बनारसी साड़ी और तिरुपति लड्डू को भी जीआई टैग मिल चुका है। भारत में सबसे पहले 2004 में दार्जिलिंग चाय को जीआई टैग प्रदान किया गया था। भारत में 325 उत्पाद हैं, जिन्हें जीआई टैग प्रदान किया जा चुका है। हाल ही में महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, पालगढ़, थाणे और रायगढ़ जिले में पैदा होने वाले अल्फांसो आम को जीआई टैग प्रदान किया गया था।
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