बेंगलुरू। देश की दूसरी बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के सीईओ के पद से विशाल सिक्का के इस्तीफे के बाद कंपनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सबसे बड़ी चुनौती कंपनी के क्लाइंट हैं। कई बड़े क्लाइंट्स सिक्का के सीईओ बनने के बाद ही कंपनी से जुड़े थे और अब क्योंकि सिक्का सीईओ नहीं है ऐसे में वे क्लाइंट भी कंपनी की सेवाएं बंद कर सकते हैं। आईटी सेक्टर के एनालिस्टों के मुताबिक सिक्का के इस्तीफे से कई बड़े क्लाइंट असमंजस में हैं।
विशाल सिक्का वैश्विक आईटी इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम हैं और इंफोसिस को संभालने से पहले कई बड़े आईटी क्लाइंट्स से सिक्का के संबध थे। इंफोसिस की कमान संभालने के बाद कई बड़े क्लाइंट्स को सिक्का खुद हेंडल करते थे, हर हफ्ते वे 5-10 बड़े क्लाइंट्स से बात करते थे। कंपनी में काम करने की इस तरह की रणनीति उन्होंने ही बनाई थी।
लेकिन आईटी सेक्टर के जानकार मान रहे हैं कि सिक्का की विदाई से इंफोसिस को झटका लग सकता है। सिक्का हालांकि मार्च तक इंफोसिस के को चेयरमैन बने रहेंगे लेकिन क्लाइंट्स के साथ उनकी बातचीत नहीं होगी। इंफोसिस में इस समय अस्थिरता का माहौल है ऐसे में कई क्लाइंट इंफोसिस को छोड़ स्थिर माहौल वाली कंपनियों के साथ जुड़ सकते हैं।
इंफोसिस के सामने सिर्फ क्लाइंट्स को संभालने की चुनौती ही नहीं है बल्कि कंपनी में काम कर रहे कई टॉप एग्जिक्युटिव को भी अपने साथ जोड़े रखने की बड़ी चुनौती है। टॉप एग्जिक्युटिव टॉप प्रोजेक्ट्स को भी हेंडल कर रहे हैं। विशाल सिक्का अगर किसी दूसरी कंपनी को ज्वाइन करते हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि इंफोसिस के कुछ टॉप एग्जिक्युटिव भी उनके साथ जुड़ सकते हैं।
इस बीच इंफोसिस के नए सीईओ के लिए अटकलों का बाजार भी गरम है, इस तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि इंफोसिस की स्थापना के समय नारायण मूर्ति के साथ जुड़े रहे नंदन नीलेकणी को नया सीईओ बनाया जा सकता है। नंदन नीलेकणी को सरकार ने आधार कार्यक्रम का मुखिया बनाया था और देश में आधार की मौजूदा व्यवस्था को उन्होंने ही खड़ा किया है।
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