बुलेट ट्रेन के बाद भारत में दौड़ेगी Maglev ट्रेन, BHEL ने किया स्विसरैपिड एजी के साथ समझौता
मैगलेव रेलगाड़ी प्रणाली में रेलगाड़ी पटरी पर दौड़ने की बजाये हवा में रहती है।
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियरिंग कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने मैगलेव रेलगाड़ियों को भारत में लाने के लिए स्विसरैपिड एजी के साथ गठजोड़ किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि अपने कारोबार का विविधीकरण करते हुए शहरी परिवहन में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए भेल ने स्विसरैपिड एजी के साथ सहमति ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत कंपनी मैगलेव (चुंबकीय उत्तोलन पर चलने वाली रेलगाड़ी) ट्रेन को भारत में लाएगी। मैगलेव रेलगाड़ी प्रणाली में रेलगाड़ी पटरी पर दौड़ने की बजाये हवा में रहती है। इसकी वजह ट्रेन को चुंबकीय क्षेत्र प्रभाव से नियंत्रित करना होता है, इसलिए उसका पटरी से कोई सीधा संपर्क नहीं होता।
यह प्रणाली बेहद ऊर्जा दक्ष और रेलगाड़ी को 500 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार तक से चलाने में सक्षम होती है। इस तरह यह धीरे-धीरे रेलगाड़ी प्रणाली की कुल लागत को कम करती है। भेल ने कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को ध्यान में रखकर किया गया है। यह समझौता भेल को इस विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी को भारत में लाने, उसका स्वदेशी विनिर्माण करने में सक्षम बनाएगी।
इस समझौता ज्ञापन पर भेल के जीएम और हेड (ट्रांसपोर्टेशन बिजनेस ग्रुप) एसवी श्रीनिवासन और स्विसरैपिड एजी के प्रेसिडेंट एवं सीईओ निकौलस एच कोइंग ने हस्ताक्षर किए। स्विसरैपिड एजी एक स्विस कंपनी है जिसके पास अंतरराष्ट्रीय मैगलेव रेल प्रोजेक्ट और इससे जुड़ी प्रौद्योगिकी के प्रमोशन, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, प्लानिंग, स्पेसिफिकेशंस, डिजाइन, इम्प्लीमेंशन और कमीशनिंग की विशेषज्ञता है।
भेल पिछले पांच दशकों से भारतीय रेलवे का भरोसेमंद भागीदार है। यह रेलवे को इलेक्ट्रिक के साथ ही साथ डीजल इंजन उपलब्ध कराता है। इसके अलावा भेल रेलवे को ईएमयू और प्रोपल्शन सिस्टम सेट भी उपलब्ध कराता है। भारत में कोलकाता मेट्रो ऐसी पहली मेट्रो है, जिसमें भेल का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है।