नई दिल्ली। इनकम टैक्स विभाग ने आज बेनामी संपत्ति संव्यवहार अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि उन्हें सात साल के सश्रम कारावास की सजा के साथ-साथ सामान्य इनकम टैक्स कानून के तहत भी आरोपी बनाया जा सकता है।
देश के तमाम राष्ट्रीय अखबारों में आज जारी विज्ञापन में इनकम टैक्स विभाग ने कहा कि बेनामी संव्यवहार न करें। क्योंकि बेनामी संपत्ति संव्यवहार का प्रतिषेध अधिनियम-1988 एक नवंबर 2016 से सक्रिय हो चुका है।
- इसमें कहा गया है कि काला धन मानवता के विरुद्ध एक अपराध है।
- सभी कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों से हमारा अनुरोध है कि इसके उन्मूलन में सरकार को सहयोग दें।
- विज्ञापन में विभाग ने कानून की कुछ अन्य महत्वपूर्ण धाराओं पर भी प्रकाश डाला है।
इसके अनुसार,
बेनामीदार, जिसके नाम पर बेनामी संपत्ति है और हिताधिकारी, जिसने वास्तव में प्रतिफल का भुगतान किया है तथा वे व्यक्ति, जो बेनामी संव्यवहार के लिए उकसाते हैं या प्रलोभन देते हैं, वे अभियोज्य है तथा उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य के 25 प्रतिशत तक के जुर्माने के अतिरिक्त सात वर्ष तक का कठोर कारावास हो सकता है।
- इसमें यह भी कहा गया है, जो व्यक्ति बेनामी अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकारियों के समक्ष झूठी सूचना प्रस्तुत करते हैं, वे अभियोज्य हैं तथा उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य के 10 प्रतिशत तक के जुर्माने के अतिरिक्त पांच वर्ष तक का कारावास हो सकता है।
- विभाग ने स्पष्ट किया है कि बेनामी संपत्तियों को सरकार कुर्क या जब्त कर सकती है।
- ये कार्रवाईयां इनकम टैक्स कानून-1961 जैसे अन्य कानूनों के अंतर्गत की जाने वाली कार्रवाईयों से अलग होंगी।
- गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में कानून के प्रभावी होने से अब तक विभाग ने देशभर में ऐसे 230 मामले दर्ज किए हैं और करीब 55 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की हैं।
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