नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश (UP) में नई सरकार किसान कर्जमाफी के सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी वादे के तहत यदि छोटे और सीमांत किसानों के कर्ज माफ करती है तो इससे कर्जदाता बैंकों को 27,420 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। साथ ही इससे राज्य के राजकोषीय गणित पर भी कुछ असर पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें :खुश रहने के मामले में चीनी और पाकिस्तानियों से भी पीछे हैं भारतीय, वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में नॉर्वे नंबर
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 325 सीटें जीत कर सरकार बनाने में सफल रहने वाली राजनीतिक पार्टी भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र में किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था।
यह भी पढ़ें :सिर्फ 5000 रुपए में बुक कर सकते हैं टाटा की टिगोर, 29 मार्च को होगी लॉन्च
- भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, शेड्यूल्ड कॉमर्शियल बैंकों का उत्तर प्रदेश में 86,241.20 करोड़ रुपए का किसान ऋण बकाया है।
- इसमें प्रत्येक ऋण औसतन 1.34 लाख रुपए का है।
- रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वर्ष 2012 के आंकड़ों का जिक्र किया गया जिसमें कहा गया है कि कृषि ऋण का 31 प्रतिशत सीमांत और छोटे किसानों- जिनके पास ढाई एकड़ तक की जमीन है- को दिया गया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, अगर रिजर्व बैंक के इस आंकड़ों को उत्तर प्रदेश में भी लागू माना जाए तो वहां छोटे और सीमांत किसानों के ऋण माफ करने की योजना के तहत सरकार को 27,419.70 करोड़ रुपए माफ करने होंगे।
Latest Business News