नई दिल्ली। नोटबंदी को एक साल बीतने को है। नोटबंदी के फायदों और नुकसान पर चर्चा अभी जारी है। इसी बीच ताजा रिपोर्ट ने बैंकों सहित सरकार के पसीने छुड़ा दिए हैं। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की ताजार रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए किए गए तकनीकी बदलावों से बैंकों को 3800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम बैंक पर भारी पड़े। डिजिटल पेमेंट के लिए भारी तादाद में पीओएस मशीनें खरीदी गई। जनवरी, 2016 भारत में पीओएस मशीनों की संख्या 13.8 लाख थी, वहीं इस साल जुलाई यह बढ़कर 28 लाख हो गई।
रिपोर्ट की मानें तो देश में इस दौरान डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए लेनदेन में जोरदार इजाफा आया है। लेकिन कम एमडीआर, कार्ड का सीमित इस्तेमाल, खस्ताहाल टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते बैंकों को भारी नुकसान पहुंचा है। एसबीआई के अनुमानों के मुताबिक, बैंक लेनदेन से पीओएस टर्मिनल्स पर 4,700 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसमें से यदि एक ही बैंक में किए गए पीओएस ट्रांजैक्शंस को घटा दें तो यह घाटा 3,800 करोड़ रुपए होगा।
पीओएस मशीन का इस्तेमाल डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान के लिए किया जाता है। पीओएस बनाम एटीएम शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने पीओएस इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं और बैंकों ने भी अधिक से अधिक पीओएस मशीनें लगाई हैं, लेकिन लंबी अवधि की बात करें तो उद्देश्य तभी पूरा होगा जब पीओएस से होने वाले लेनदेन एटीएम को पीछे छोड देंगे, जो फिलहाल मुश्किल नजर आता है।
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