नई दिल्ली। भारत का कम नगदी वाला देश बनने की दिशा में तेजी से बढ़ने का एक और सबूत सामने आया है। इस साल जून से अगस्त के दौरान देश में कुल 358 ATM बंद हुए हैं। एक अपने आप में एक बड़ा बदलाव है क्योंकि पिछले चार सालों के दौरान देश में ATM की संख्या 16.4 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही थी। पहली बार ऐसा हुआ है कि एटीएम की संख्या घटने का मामला सामने आया है।
नोटबंदी के बाद शहरों में ATM का उपयोग कम हुआ है और परिचालन लागत में वृद्धि होने से बैंकों को मजबूरी में अपने एटीएम बंद करने जैसा कठोर कदम उठाना पड़ रहा है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), जिसका देश में सबसे बड़ा ATM नेटवर्क है, ने अपने 91 एटीएम बंद किए हैं। जून में इसके एटीएम की संख्या 59,291 थी, जो अगस्त में घटकर 59,200 रह गई। इसी दौरान पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम की संख्या भी 10,502 से घटकर 10,083 रह गई। एचडीएफसी बैंक के एटीएम भी 12,230 से घटकर 12,225 रह गए हैं।
बैंकों का कहना है कि मुंबई में एयरपोर्ट और प्रमुख स्थलों पर 35 वर्ग फुट जगह का किराया 40,000 रुपए प्रति महीने के स्तर पर पहुंच गया है। इसके अलावा चेन्नई और बेंगलुरु जैसे मेट्रो में भी एटीएम स्थल का किराया 8 हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक है। सुरक्षा कर्मचारी और एटीएम ऑपरेटर का वेतन, रखरखाव शुल्क और बिजली बिल जोड़कर एक एटीएम का कुल खर्च 30 हजार रुपए से लेकर 1 लाख रुपए प्रति माह तक बैठता है। एटीएम में सबसे बड़ा खर्च बिजली का है, क्योंकि एटीएम के भीतर पूरे दिन 15-18 डिग्री सेंटीग्रेट का तापमान बनाए रखना पड़ता है।
एसबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि बैंक ने अपने सहयोगी बैंकों के विलय के बाद कुछ एटीएम को बंद किया है। कुछ अन्य बैंकों ने अपना कोई भी एटीएम बंद नहीं किया है लेकिन वो अपनी विस्तार योजना पर धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं। लक्ष्मी विलास बैंक, जिसके 981 एटीएम हैं, के सीईओ पार्थसारथी मुखर्जी ने कहा कि हमें वायबिलिटी चेक करने की जरूरत है। आगे के विस्तार के लिए, हमें लागत निकालने के लिए पर्याप्त वॉल्यूम की आवश्यकता होगी।
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