नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने नोटबंदी से जुड़ा एक अहम खुलासा किया है। भट्टाचार्य के अनुसार नोटबंदी की तैयारियों के लिए बैंकों को और समय दिया जाना चाहिए था। समय और तैयारी की कमी के चलते बैंकों को काफी दबाव का सामना करना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री ने अचानक 500 और 1000 के करेंसी नोटों को प्रचलन से बाहर करने का फैसला सुना दिया था। सरकार की इस पहल का मकसद कालाधन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर लगाम लगाना था।
एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में बोलते हुए भट्टाचार्य ने कहा अगर हम किसी नई तरह की चीज के लिये तैयार होते हैं, तब यह ज्यादा सार्थक और बेहतर होता। स्पष्ट तौर पर अगर नोटबंदी के लिये थोड़ी अधिक तैयारी का मौका मिलता, निश्चित रूप से इसका हम पर दबाव कम होता। उन्होंने कहा, अगर आपको नकदी लानी-ले जानी होती है, उसके कुछ नियम है। हमें पुलिस की जरूरत होती है। काफिले की व्यवस्था करनी होती है। नजदीकी मार्ग चुनना होता है। यह बड़ा लाजिस्टिक कार्य होता है।
देश के सबसे बड़े बैंक की चेयरपर्सन पद से सेवानिवृत्त हुई अरूंधति के अनुसार इस बात का आकलन करने के लिये और समय की जरूरत है कि नोटबंदी सही कदम था या नहीं। नोटबंदी के लाभ के बारे में उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी, उच्च मूल्य की मुद्रा पर निर्भरता कम हुई और डिजिटलीकरण बढ़ा है। अरूंधति ने कहा, मुझे नहीं लगता कि कालाधन रखने वाले बच पाएंगे। प्रौद्योगिकी लाखों खातों के विश्लेषण करने में मदद करेगी। कालाधन रखने वालों को पता है कि वे जांच के घेरे में हैं।
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