नई दिल्ली। भारतीय बैंकों को बासेल-तीन के पूंजी पर्याप्तता नियमों को मार्च 2019 तक पूरा करने और ऋण वृद्धि को गति देने के लिए करीब 65 अरब डॉलर की जरूरत होगी। फिच रेटिंग्स ने आज यह कहा। यह राशि पहले के अनुमान के मुकाबले कम है। रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार, पूंजी की कमजोर स्थिति का बैंक की व्यवहार्यता रेटिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और अगर समस्या का समाधान नहीं होता है, इस पर और दबाव पड़ेगा।
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फिच ने कहा कि,
भारतीय बैंकों को नए बासेल-तीन पूंजी मानकों को पूरा करने के लिए करीब 65 अरब डालर की अतिरिक्त जरूरत पड़ सकती है। इन मानकों को मार्च 2019 तक पूरी तरह क्रियान्वित किया जाना है।
इससे पहले, अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने 90 अरब डॉलर की जरूरत बताई थी। अनुमान में कमी का कारण संपात्ति को युक्तिसंगत बनाना तथा ऋण में उम्मीद के मुकाबले कमजोर वृद्धि है। फिच के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास जरूरत के अनुसार पूंजी जुटाने के लिये विकल्प सीमित है।
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रेटिंग एजेंसी के अनुसार,
आंतरिक पूंजी सृजन की संभावना कमजोर है और निवेशकों का भरोसा कम होने की वजह से पूंजी बाजार तक पहुंच में बाधा है। ऐसे में वे पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिये सरकारों पर निर्भर रह सकते हैं।
सरकार चालू और अगले वित्त वर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में 3 अरब डालर और निवेश करने को लेकर प्रतिबद्ध है। इससे पहले सरकार 11 अरब डालर में से अधिकतर पूंजी उपलब्ध करा चुकी है।
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