हैदराबाद। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया ने पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले में 200 करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा है और बैंक ने नीरव मोदी की कंपनियों के खिलाफ दिवाला कानून के तहत समाधान कार्यवाही शुरू की है। बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी दीनबंधु महापात्र ने कहा कि हमने (पीएनबी धोखाधड़ी मामले में) कुछ कर्ज दे रखा है। हम समाधान प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं। यह करीब 200 करोड़ रुपए है। हम विदेशों में भी ऋण समाधान प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं।
हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी ने पंजाब नेशनल बैंक में धोखाधड़ी कर गारंटी पत्रों (एलओयू) के जरिये 13,000 करोड़ रुपए का घोटला किया। यह भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में अबतक का सबसे बड़ा घोटाला है।
महापात्र ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही बैंक का मुनाफा प्रभावित हुआ। इसका मुख्य कारण उन बड़े खातों के लिए अधिक प्रावधान है जिसकी रेटिंग घटा दी है। बैंक को 31 दिसंबर को समाप्त तिमाही में 2,341.10 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ। इसका कारण फंसे कर्ज के एवज में प्रावधान 72 प्रतिशत बढ़ना है।
बैंक की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) दिसंबर 2017 में सकल कर्ज का 16.93 प्रतिशत पहुंच गया जो दिसंबर 2016 में 13.38 प्रतिशत था। बैंक ऑफ इंडिया का शुद्ध एनपीए आलोच्य अवधि में 10.29 प्रतिशत रहा जो इससे पूर्व दिसंबर 2016 में 7.09 प्रतिशत था।
उन्होंने उम्मीद जताई कि कुछ बड़े खातों में प्रावधान की स्थिति पलट रही है और आने वाले समय में स्थिति कुछ अलग होगी। महापात्र ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही बैंक का प्रदर्शन सभी मोर्चों पर बेहतर रहेगा। ’’
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