नई दिल्ली। पिछले वित्त वर्ष के दौरान बैंकों द्वारा 1 लाख रुपये से ऊपर के दर्ज किए गए फ्रॉड की कुल रकम दोगुना होकर 1.85 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई है। वहीं ऐसे मामलों की संख्या में इसी दौरान 28 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। रिपोर्ट की गई कुल फ्रॉड की रकम का 80 फीसदी हिस्सा सरकारी बैंकों के खाते में है। वहीं सबसे ज्यादा फ्रॉड बैंकों से मिलने वाले कर्ज को लेकर किए गए हैं। ये सभी जानकारियां रिजर्व बैंक के द्वारा मंगलवार को जारी सालाना रिपोर्ट में सामने आई हैं।
खास बात ये है कि धोखाधड़ी के ये मामले सिर्फ पिछले वित्त वर्ष में ही रिपोर्ट किए गए हैं, हालांकि इनमें से कई मामले पिछले कई साल से जुड़े हैं। रिजर्व बैंक के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में बैंकों और वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी होने और उसका पता चलने का औसत समय 2 साल रहा है। वहीं 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी को रिपोर्ट करने का औसत समय इससे भी कही ज्यादा रहा है। इन घपले को दर्ज करने में औसत 63 महीने लगे। केंद्रीय बैंक ने संकेत दिए हैं कि वो ये जानने की कोशिश करेंगे कि रिपोर्टिंग में बैंकों को इतना वक्त क्यों लगा। रिजर्व बैंक लगातार कोशिश कर रहा है कि घपला होने और बैंकों द्वारा उसे दर्ज करने के बीच का वक्त कम से कम किया जाए।
रिपोर्ट की माने तो कुल रकम में बड़े कर्ज का असर सबसे ज्यादा रहा है। कर्ज से जुड़े टॉप 50 फ्रॉड का हिस्सा फ्रॉड की पूरी रकम का 76 फीसदी है। वहीं 1.85 लाख करोड़ रुपये के कुल फ्रॉड में से 80 फीसदी हिस्सा सरकारी बैंकों का है, 18 फीसदी हिस्सा निजी बैंकों का है। कुल फ्रॉड का 98 फीसदी हिस्सा कर्ज सेग्मेंट से जुड़ा है। वहीं बाकी हिस्सा बैलेंस शीट, इंटरनेट बैंकिंग, कार्ड और विदेशों में जुड़े ट्रांजेक्शन को लेकर हुए घपलों का है।
रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक अगर कर्ज से जुडा कोई फ्रॉड दर्ज किया जाता है, तो बैंक को शेष बची धनराशि के 100 फीसदी के बराबर प्रोविजन रखना पड़ता है। ये वो एक बार में कर सकते हैं या फिर वो अगली 4 तिमाही में कर सकते हैं। खास बात ये है कि पिछले साल दर्ज हुए घपलों की संख्या में उछाल के बाद इस वित्त वर्ष में जून तिमाही के दौरान दर्ज हुए फ्रॉड में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले गिरावट देखने को मिली है। अप्रैल से जून के बीच दर्ज घपलों में कुल 28,843 करोड़ रुपये की रकम शामिल थी, वहीं पिछले साल की इसी तिमाही में ये आंकड़ा 42 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा था।
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