नई दिल्ली। नोटबंदी के दो साल बाद भी बैंक कर्मचारियों को तब देर रात तक काम करने के बदले में अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया है। कर्मचारियों को पैसे कम पड़ने पर अपनी जेब से भरने पड़े और वे अभी भी बेहाल हैं। नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) ने एक बयान जारी कर यह परेशानी बताई है।
बैंक कर्मचारियों के इस संगठन के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा कि नोटबंदी का दर्द सबने झेला। लेकिन इसकी सबसे ज्यादा मार बैंक कर्मचारियों पर पड़ी। उन्होंने देर रात तक बैंकों में काम किया। उन्हें छुटि्टयां नहीं मिलीं और जो पैसा कम हुआ उसे उन्होंने अपनी जेब से भरा। लेकिन सबसे दुख की बात यह है कि दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें उनके अतिरिक्त काम के एवज में कोई भुगतान नहीं किया गया है।
राणा ने कहा कि ओवरटाइम ही नहीं, कर्मचारियों का वेतन समझौता एक नवंबर 2017 से लागू होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हुआ है। भारतीय बैंक संघ ने इसके लिए कई बार बैठक की लेकिन मात्र छह प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव किया, जो बेहद कम और शर्मनाक है।
उन्होंने संगठन की ओर से मांग की कि जिन बैंकों ने कर्मचारियों का ओवरटाइम नहीं दिया है, सरकार उन्हें इसे तुरंत जारी करने का आदेश दे। इसके साथ ही भारतीय बैंक संघ भी कर्मचारियों के वेतन में सम्मानजनक वृद्धि की सिफारिश करे। उल्लेखनीय है कि कालेधन को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपए के बैंक नोटों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था।
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