नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रकों को छोड़कर 2,000 सीसी क्षमता से अधिक के डीजल वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर 30 अप्रैल तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में डीजल से संचालित सभी टैक्सियों को सीएनजी में तब्दील करने के लिए समयसीमा भी एक महीने के लिए बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले यह प्रतिबंध 31 मार्च तक के लिए लगाया था। गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने यह समय सीमा एक महीने के लिए और बढ़ा दी है।
मुख्य न्यायधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई की। गौरतलब है कि कोर्ट के इस आदेश से विभिन्न कंपनियों के 60 से अधिक मॉडल प्रभावित हुए हैं।दरअसल सुप्रीम कोर्ट निजि डीजल टैक्सी मालिकों की समय सीमा बढ़ाने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी, जिसमें उन लोगों ने अपनी डीजल गाड़ियों को सीएनजी में तब्दील कराने के लिए समय सीमा बढ़ाने के साथ सरकार से मदद की मांग की थी। इससे पहले कोर्ट ने ओला और उबर को अपने कैब्स में लगाए गए डीजल वाहनों को 31 मार्च 2016 तक सीएनजी में तब्दील कराने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सबसे अधिक प्रभावित जर्मनी की लग्जरी कार बनाने वाली मर्सिडीज बेंज और टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाली जगुआर लैंडरोवर (जेएलआर) है क्योंकि उनके सारे मॉडल 2,000 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले हैं। मर्सिडीज बेंज भारत में कुल 24 मॉडल बेचती है। दिल्ली और मुंबई भारत में लग्जरी वाहनों का सबसे बड़ा बाजार है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक देश की कुल लग्जरी वाहनों की बिक्री में दिल्ली का 20 फीसदी योगदान है। घरेलू कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा पर इस आदेश का सबसे अधिक असर होगा। इसकी एक्सयूवी 500, स्कॉर्पियो, जायलो और बोलेरो जैसे लोकप्रिय वाहनों का इंजन 2000 सीसी से अधिक का है। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के दो सबसे अधिक बिकने वाले वाहन इनोवा और फार्च्यूनर भी इस आदेश से प्रभावित होंगे। टाटा मोटर्स की सूमो गोल्ड, सफारी और एमपीवी आरिया भी उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित होंगी।
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