नई दिल्ली। उद्योग मंडल एसोचैम ने 7th Pay Commission की सिफारिशों पर चिंता जाहिर की है। एसोचैम ने कहा कि सिर्फ टैक्स वसूली और डिसइन्वेस्टमेंट प्रोसेस पर निर्भर रहकर सरकारी कर्मचारियों और पेंशन भोगियों को ऊंचे वेतन का भुगतान करना अच्छी आर्थिक नीति नहीं होगी। उद्योग मंडल का कहना है कि पे-कमीशन की सिफारिशों के अनुसार वेतन में भारी बढ़ोत्तरी से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर भी असर पड़ सकता है।
बिगड़ जाएगा पूरा अर्थशास्त्र
एसोचैम ने कहा है, वित्त वर्ष 2015-16 के बजट को देखें तो टैक्स से सरकार की कुल कमाई में केंद्र का शुद्ध हिस्सा 9.20 लाख करोड़ रुपए है। अगर पे-कमीशन की रिपोर्ट को बिना बदलाव के लागू किया जाता है तो 47 लाख कर्मचारियों और 52 लाख पेंशन भोगियों को फायदा मिलेगा। इसके कारण वेतन और पेंशन बिल बढ़कर 5.27 लाख करोड़ रुपए के चिंताजनक स्तर पर पहुंच जाएगा, जो कि सालाना 1.02 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी को दिखाता है।
पे-कमीशन सिफारिशों से 1.02 लाख करोड़ का बढ़ेगा बोझ
पे-कमीशन ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में 23.55 फीसदी बढ़ोत्तरी का सुझाव दिया है। इसके साथ ही एक रैंक एक पेंशन की भी सिफारिश की है जिससे सालाना 1.02 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा। एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने एक बयान में कहा है, अगर राजस्व का आधे से अधिक हिस्सा वेतन व भत्तों में जाए तो कोई भी वित्तीय ढांचा टिकाऊ नहीं रह सकता। हमें ऐसी स्थिति पैदा नहीं करनी चाहिए जिसमें हमें वेतन भत्तों के भुगतान के लिए लगातार उधारी कर्ज लेना पड़े।
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