एसोचैम का सभी श्रेणी में जीएसटी दर में 25 प्रतिशत कटौती का सुझाव, राजकोषीय घाटे को लेकर कही ये बात
उद्योग मंडल एसोचैम ने निवेश और उपभोग मांग बढ़ाने के लिये बुधवार को सरकार से सभी स्तरों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें छह महीने के लिए 25 प्रतिशत तक घटाने का सुझाव दिया है।
नयी दिल्ली। उद्योग मंडल एसोचैम ने निवेश और उपभोग मांग बढ़ाने के लिये बुधवार को सरकार से सभी स्तरों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें छह महीने के लिए 25 प्रतिशत तक घटाने का सुझाव दिया है। उद्योग मंडल ने वेतभोगियों के लिए आयकर की उच्चतम दर को 30 प्रतिशत से घटा कर 25 प्रतिशत पर रखने का सुझाव दिया है। उद्योग मंडल ने कहा कि राजकोषीय घाटा बढ़ने को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मौजूदा स्थिति में घाटे के वित्त पोषण कोई मुद्दा नहीं बनेगा।
अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति, उद्योग की उम्मीद और बजट सुझाव विषय पर संवाददाताओं से बातचीत में एसोचैम के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने संवाददाताओं से कहा, 'हमारा पहला महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिये अगले छह महीने के लिये सभी श्रेणी में जीएसटी दर में 25 प्रतिशत की कटौती की जाए।' उन्होंने कहा, 'इससे 1.20 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त घाटा होगा। निश्चित रूप से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा, लेकिन आज की परिस्थिति में घाटे का वित्त पोषण कोई मसला नहीं होगा।'
हीरानंदानी ने कहा कि इससे कंपनियां कर देने के लिये प्रोत्साहित होंगी। इससे कर आधार बढ़ेगा और अंतत: सरकार का राजस्व बढ़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए और 'इनपुट टैक्स क्रेडिट' का लाभ लेने का विकल्प सभी कंपनियों के लिए होना चाहिए। प्रत्यक्ष कर के मामने में उन्होंने वेतनभोगी व्यक्ति के लिए कर दरों की अधिकतम सीमा को कॉर्पोरेट कर की दरों में कमी को ध्यान में रखते हुए 25 प्रतिशत पर रखने का सुझाव दिया। इससे लोगो के हाथों में अधिक पैसा होगा और खपत बढ़ेगी।
कृषि क्षेत्र के बारे में उन्होंने कहा कि कंपनियों को ठेका खेती और खेती-बाड़ी उच्च प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए। उद्योग मंडल ने खेती में उच्च प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए और इसके लिए पूंजी सब्सिडी प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष बनाने का सुझाव दिया। कुल 13 सूत्री सुझावों में एसोचैम ने कहा कि आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने और 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करने के लिये कारोबार सुगमता में और सुधार लाने, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कारोबार को आसान बनाने, विनिर्माण को प्रोत्साहन देने जैसे कदम उठाने की जरूरत है।
उद्योग मंडल ने कहा, 'हालांकि कारोबार सुगमता के मामले में भारत की रैकिंग सुधरी है लेकिन अभी भी कई राज्यों में जमीनी स्तर पर बाधाओं को दूर करने और मंजूरी प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है। भूमि रिकार्ड का डिजिटलीकरण लंबित मुद्दा है, जिसपर काम करने की जरूरत है।' एमएसएमई क्षेत्र के बारे में उद्योग मंडल ने कहा कि इस क्षेत्र के समक्ष कर्ज की कम पहुंच, खराब बुनियादी ढांचा, बाजार पहुंच की कमी जैसी समस्याएं हैं, जिसे दूर करने की जरूरत है।
हीरानंदानी ने बजट में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो उद्योग एक करोड़ रुपए के निवेश में 50 लोगों या उससे अधिक को रोजगार देते हैं, उन्हें प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया जाना चाहिए। इसके अलावा परिचालन में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने तथा कुल रोजगार में 20 प्रतिशत से महिलाओं नौकरी देने वालों को कर छूट के जरिए प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। उद्योग मंडल ने निर्यात की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिये नीतियों में स्थायित्व लाने का भी सुझाव दिया है। इसमें अन्य बातों के अलावा सस्ता कर्ज मिलना शामिल है।