नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे। बैठक में बैंकिंग सेक्टर के नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) समस्या पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में वित्तीय सेवा सचिव अंजुली छिब दुग्गल भी शामिल होंगी। बैठक में तनावग्रस्त आस्तियों के तत्काल समाधान के उपायों को खोजने पर चर्चा की जाएगी।
एक ओर जहां मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने एनपीए से निपटने के लिए बैड बैंक की स्थापना का सुझाव दिया है, वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने तनावग्रस्त आस्तियों से निपटने के लिए प्राइवेट असेट मैनेजमेंट कंपनी (पीएएमसी) और नेशनल असेट मैनेजमेंट कंपनी (एनएएमसी) की स्थापना करने की दोहरी अवधारणा पेश की है।
- 30 सितंबर 2016 के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए बढ़कर 6.3 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है, जो जून तिमाही में 5.5 लाख करोड़ रुपए था।
- तिमाही आधार पर एनपीए में 79,977 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है।
- पिछले महीने सुब्रमण्यम ने कहा था कि बढ़ते एनपीए से निपटने के लिए सार्वजनिक असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) या बैड बैंक की स्थापना की जानी चाहिए और इस पर तत्काल आगे बढ़ने की जरूरत है।
- विरल आचार्य द्वारा सुझाया गया पीएएमसी प्लान मेटल, कंस्ट्रक्शन, टेलीकॉम और टेक्सटाइल जैसे सेक्टर के लिए होगा, जहां छोटी अवधि में संपत्ति का आर्थिक मूल्य होगा।
- प्लान के तहत बैंकों से इन सेक्टर की 50 बड़ी तनावग्रस्त संपत्तियों को 31 दिसंबर 2017 तक रिस्ट्रक्चर करने के लिए कहा जा सकता है।
- एनएएमसी प्लान उन सेक्टर के लिए अल्पकाल में व्यवहारिक हो सकती है, जहां समस्या केवल अत्यधिक क्षमता की नहीं है बल्कि छोटी अवधि में आर्थिक रूप से अव्यवहारिक संपत्ति की है।
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