जेटली ने किया अटल को याद, कहा संसदीय लोकतंत्र से निकले 'उत्कृष्ट राजनेता’ थे वाजपेयी
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को संसदीय लोकतंत्र से निकला "उत्कृष्ट राजनेता" बताया।
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुये उन्हें आलोचनाओं को स्वीकार करने और आम सहमति को महत्व देने वाला संसदीय लोकतंत्र से निकला "उत्कृष्ट राजनेता" बताया। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे वाजपेयी का कल शाम एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके जेटली ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन को एक युग का अंत बताया। जेटली ने "अटलजी, उत्कृष्ट महानुभाव- वह किस प्रकार अलग हैं?" शीर्षक से लिखे ब्लॉग पोस्ट में कहा कि वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा उनके नाम "अटल" की ही तरह है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में शुरुआत के कुछ दशकों में कांग्रेस का ही दबदबा था। अटल ने लोगों को विकल्प दिया, पिछले दो दशक में वह विकल्प कांग्रेस से भी बड़ा हो गया। अटल ने लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर केंद्र और राज्य दोनों जगह दूसरे कतार के नेता तैयार किये।
जेटली ने कहा कि वाजपेयी हमेशा दूसरों के विचारों का सम्मान करते थे और उनके लिये राष्ट्रहित हमेशा सर्वोपरि रहा। उनके अंदर दोस्त और विरोधियों दोनों को आसानी से मना लेने की कला थी। वह कभी किसी छोटे-मोटे विवाद में भी नहीं पड़े। वर्ष 1998 का पोखरण परमाणु परीक्षण वाजपेयी की सरकार के लिये महत्वपूर्ण क्षण था। इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के साथ मिलकर शांति का रास्ता निकालने का भी काम किया लेकिन जब जरूरत पड़ी तो उन्होंने कारगिल में मुंहतोड़ जवाब भी दिया। आर्थिक मोर्च पर वाजपेयी उदारवादी थे। राष्ट्रीय राजमार्ग, गांवों में सड़क, बेहतर बुनियादी ढांचे, नयी दूरसंचार नीति, नया बिजली कानून इसका सबूत है।
जेटली ने कहा, ‘‘अटल जी लोकतंत्र के समर्थक थे। उनकी राजनीतिक शैली उदारवादी रही। वह आलोचनाओं को स्वीकार करते थे। वह संसदीय लोकतंत्र से निकले नेता होने के नाते सर्वसम्मति को महत्व देते थे।’’ वह उनसे भी संवाद कायम कर लेते थे जो उनसे असहमत हो। वह चाहे विपक्ष में रहें या सरकार में, कभी उनके व्यवहार में परिवर्तन नहीं आया।