नई दिल्ली। देश में घाटे की स्थिति थोड़ी बिगड़ी है। राजकोषीय घाटा 2016-17 की पहली तिमाही में बजट अनुमान के 61 प्रतिशत से ऊपर निकल गया है। अधिक व्यय तथा गैर-कर राजस्व में कम वृद्धि से घाटा तेजी से बढ़ा है। व्यय एवं राजस्व के बीच अंतर राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में बजट अनुमान का 3.26 लाख करोड़ रुपए या 61.1 फीसदी रहा।
पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में राजकोषीय घाटा 51.6 फीसदी था। सरकार ने 2016-17 में राजकोषीय घाटा 5.33 लाख करोड़ रुपए या जीडीपी का 3.5 फीसदी रहने का अनुमान रखा है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार कर राजस्व संग्रह 1.57 लाख करोड़ रुपए या बजट अनुमान का 14.9 फीसदी रहा, जो पिछले साल बेहतर है।
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वहीं ब्याज प्राप्ति और लाभांश समेत गैर-कर राजस्व 23,484 करोड़ रुपए या बजटीय अनुमान का 7.3 फीसदी रहा। जून 2015 में यह बजटीय अनुमान का 17.8 फीसदी था।
सरकार की कुल प्राप्ति (राजस्व और गैर-ऋण पूंजी) तीन महीनों के दौरान 1.85 लाख करोड़ रुपए रही, जो चालू वित्त वर्ष में अनुमान का 12.8 फीसदी है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान योजना व्यय 1.47 लाख करोड़ रुपए या बजटीय अनुमान का 26.8 फीसदी रहा। यह पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि के दौरान 24.7 फीसदी था। गैर-योजना व्यय अप्रैल-जून अवधि में 3.64 लाख करोड़ रुपए या बजटीय अनुमान का 25.5 फीसदी था। सीजीए के आंकड़ों के अनुसार राजस्व घाटा आलोच्य अवधि में 2.82 लाख करोड़ रुपए या बजटीय अनुमान का 79.7 फीसदी है।
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