नई दिल्ली। जमीन जायदाद की खरीद फरोख्त में कालेधन के प्रयोग पर अंकुश लगाने के लिए बनाए गए एक नए कानून के तहत बेनामी संपत्ति रखने वालों को सात साल तक के कठोर कारावास की सजा और जुर्माना हो सकता है। ऐसा रियल एस्टेट क्षेत्र में कालेधन के प्रवाह को कम करने के लिए सरकार द्वारा पारित किए गए एक नए विधेयक की वजह से संभव हो सकेगा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाल ही में बेनामी लेनदेन निषेध (संशोधन) कानून-2016 पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और यह अधिनियम अधिसूचित किया जा चुका है। इसमें बेनामी संपत्ति को जब्त करने और इसके खिलाफ भारी जुर्माने का प्रावधान है।
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कौनसी संपत्ति मानी जाएगी बेनामी
नए कानून के तहत वह संपत्ति बेनामी संपत्ति मानी जाएगी, जो किसी और व्यक्ति के नाम हो या हस्तांतरित की गई हो लेकिन उसका प्रावधान या भुगतान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया गया हो। इस तरह का सौदा बेनामी संपत्ति के प्रावधान या भुगतान करने वाले को तत्काल या भविष्य में लाभ पहुंचाने के उद्येश्य से किया गया होता है।
एक से सात साल तक की जेल
नए कानून में दोेषी व्यक्ति को एक साल से सात साल तक के कठोर कारावास की सजा मिल सकती है। इसके उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है, यह संपत्ति के बाजार मूल्य के 25 फीसदी तक हो सकता है। पुराने कानून में तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान था।
नए कानून में ऐसे लेनदेन के बारे में जानबूझकर गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ भी जुर्माना लगाने का प्रावधान है। ऐसा करने पर कम से कम छह महीने और अधिकतम पांच वर्ष के कठिन कारावास की सजा के साथ उस संपत्ति के बाजार मूल्य के हिसाब से 10 फीसदी तक राशि का जुर्माना लगाया जा सकता है। नए कानून में कोई भी कानूनी कार्रवाई केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की पूर्वानुमति के बिना शुरू नहीं की जाएगी। अधिकारी ने बताया कि नए कानून की मदद से रीयल एस्टेट क्षेत्र में कालेधन के प्रवाह पर नजर रखने में मदद मिलेगी।
एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने का प्रावधान
इस कानून में एक एडमिनिस्ट्रेटर (प्रशासक) नियुक्त करने का प्रावधान है, जो इस कानून के तहत जब्त की जाने वाली संपत्तियों का प्रबंधन करेगा। इस नए कानून के मुताबिक इस कानून के तहत दंडनीय अपराधों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार एक या एक से अधिक सत्र अदालत या विशेष अदालतें निर्धारित कर सकती हैं।
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