नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की वह याचिका खारिज कर दी है, जो रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी के व्यक्तिगत दिवालियेपन की कार्यवाही पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा स्टे लगाए जाने के खिलाफ दायर की गई थी। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 6 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट को इस मुद्दे पर विचार करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस हेमंत गुप्ता और एस. रवींद्र भट्ट की पीठ ने भी एसबीआई को 27 अगस्त को हाईकोर्ट द्वारा पारित स्टे ऑर्डर में बदलाव करने की मांग करने की स्वतंत्रता दी। तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि आप अनिल अंबानी मामले पर बहस करने के लिए हाईकोर्ट वापस क्यों नहीं जाते?
बीते 27 अगस्त को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें उन्होंने मुंबई दिवालियापन ट्रिब्यूनल के आदेश पर स्टे लगा दिया था। पीठ ने कहा था कि कॉर्पोरेट देनदारों के खिलाफ कार्यवाही जारी रहेगी और साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार, एसबीआई और अन्य से नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था। पीठ ने अंबानी पर अपनी किसी भी व्यक्तिगत संपत्ति को बेचने या स्थानांतरित करने से भी रोक दिया था और मामले को 6 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह दायर की गई याचिका में एसबीआई ने कहा था कि हाईकोर्ट ने बैंक को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का अवसर नहीं दिया और अंबानी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही को रोकते हुए अंतरिम आदेश पारित करना उचित नहीं था, जिस पर बैंक का 1,707 करोड़ रुपए का बकाया है। अंबानी ने व्यक्तिगत गारंटी से संबंधित खंड की वैधता को चुनौती दी थी और पूछा था कि क्या इस तरह के आदेश के लिए इन्सॉल्वेंसी बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) में कोई सक्षम प्रावधान है।
इस साल मार्च में एसबीआई ने अंबानी द्वारा जारी गारंटी के आधार पर व्यक्तिगत दिवालियापन के लिए आईबीसी की धारा 95 के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ में याचिका दायर की थी। एनसीएली ने जितेंद्र कोठारी को रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) के रूप में नियुक्त किया था।
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