नई दिल्ली। अमेजन इंडिया ने अपने पोर्टल पर बिक्री करने वाले प्रमुख वेंडर्स को अपने साथ जोड़े रखने के लिए उन्हें लोन ऑफर करने की योजना बनाई है। यह कदम कंपनी अपने वेंडर्स को प्रतिस्पर्धी फ्लिपकार्ट और स्नैपडील के पास जाने से रोकने के लिए उठा रही है। अमेजन इंडिया ने अपने क्वालीफाइड मर्चेंट्स को अपने लेंडिंग प्रोग्राम के लिए आमंत्रित किया है, जिसके तहत एक विक्रेता शॉर्ट टर्म वर्किंग कैपिटल लोन के लिए आवेदन कर सकता है, इसकी मदद से वह और अधिक इनवेंट्री तैयार कर अपनी बिक्री बढ़ा सकता है।
अमेजन इंडिया के जनरल मैनेजर (सेलर सर्विसेस) गोपाल पिल्लई कहते हैं कि सेलर्स के लिए वर्किंग कैपिटल तक पहुंच सबसे बड़ी रुकावट है। इस योजना के जरिये हम इस रुकावट को कुछ हद तक कम करना चाहते हैं और लोन की समस्या को कम कर अपने प्लेटफॉर्म पर सेलर्स का बिजनेस बढ़ाने में मदद करना चाहते हैं। अमेजन ने अपना यह पायलेट प्रोजेक्ट पिछले साल सितंबर में लॉन्च किया था, तब इसने सैकड़ों एसएमई को कई करोड़ रुपए का लोन दिया था। यह लोन थर्ड पार्टी सेलर फाइनेंसिंग प्लेटफॉर्म कैपिटल फर्स्ट के जरिये दिया जाता है, जो मुंबई की एक एनबीएफसी कंपनी है।
5 लाख से 2 करोड़ रुपए के बीच का यह लोन 13 से 15 फीसदी ब्याज पर चार से छह माह के लिए दिया जाता है। अन्य कंपनियां जैसे पेटीएम, स्नैपडील और फ्लिपकार्ट ने भी इसी तरह की लोन स्कीम लॉन्च की है। वजीर एडवाइजर्स के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर हरमिंदर साहनी कहते हैं कि इस तरह की योजनाओं की मदद से ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी इनवेंट्री खड़ी करने से बचती है। सेलर्स के पास पूंजी होने से वह अच्छा स्टॉक रखते हैं और उनकी बिक्री बढ़ती है, जिसके साथ कंपनी भी ग्रोथ करती है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह बहुत बड़ी कंपनियां हैं और इनमें फाइनेंशियल रिस्क भी कम है क्योंकि एसएमई कभी भी बड़े बिजनेस पार्टनर्स को खोना नहीं चाहेंगे।
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