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#EmissionScandal: अगर आप हैं एक डीजल कार के मालिक, तो आपकी गाड़ी की भी हो सकती है जांच

सरकार ने देश में सभी डीजल वाहनों की जांच करने का फैसला लिया है। आप भी किसी भी कंपनी की डीजल कार के मालिक हैं तो आपकों भी इस जांच का सामना करना पड़ सकता हैं।

#EmissionScandal: अगर आप हैं एक डीजल कार के मालिक, तो आपकी गाड़ी की भी हो सकती है जांच- India TV Paisa #EmissionScandal: अगर आप हैं एक डीजल कार के मालिक, तो आपकी गाड़ी की भी हो सकती है जांच

नई दिल्‍ली। उत्‍सर्जन घोटाले में फंसी जर्मन ऑटो कंपनी फॉक्‍सवैगन ने भारत में सभी डीजल कार मालिकों के लिए नई मुश्किल खड़ी कर दी है। फॉक्‍सवैगन ने भारत में अपनी 3.23 लाख डीजल कारों को रिकॉल करने की बात कही है। भारत सरकार अब पर्यावरण को लेकर ज्‍यादा सजग हो गई है, उसने 2030 तक भारत में होने वाले कार्बन उत्‍सर्जन में 30-35 फीसदी कमी करने का लक्ष्‍य रखा है। इस लक्ष्‍य की पूर्ति के लिए सरकार ने देश में सभी डीजल वाहनों की जांच करने का फैसला लिया है। यदि आप भी किसी भी कंपनी की डीजल कार के मालिक हैं तो आपकों भी इस जांच का सामना करना पड़ सकता हैं। लेकिन यहां घबराने की जरूरत नहीं है, यदि जांच में कुछ भी गड़बड़ी सामने आती है तो इसका खामियाजा आपको नहीं बल्कि कंपनी को भुगतना होगा। हां, जब आपका व्‍हीकल जांच के लिए जाएगा, तब आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है, जब तक आपका व्‍हीकल आपको वापस नहीं मिल जाता तब तक आपको यातायात के लिए अन्‍य साधनों का उपयोग करना होगा।

क्‍या करना है डीजल कार मालिकों कों

अभी तक फॉक्‍सवैगन ने रिकॉल से संबंधि‍त कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की है। कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी अपनी योजना तैयार कर रही है और उसे सरकार को बताया जाएगा और उसके बाद ही रिकॉल की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में रिकॉल में अभी समय है इसलिए फॉक्‍सवैगन कार मालिकों को आधिकारिक घोषणा तक इंतजार करना होगा। भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते ने कहा है कि उत्सर्जन नियमों का उल्लंघन न हो यह सुनिश्चित करने के लिए अगले छह महीने में देश में सभी डीजल यात्री वाहनों के उत्सर्जन स्तर की जांच की जाएगी। हालांकि उन्‍होंने भी जांच प्रक्रिया कब से शुरू होगी और इसे कैसे अंजाम दिया जाएगा, इसकी विस्‍तृत जानकारी फि‍लहाल नहीं दी है।

रिकॉल से आपकी जेब पर क्‍या पड़ेगा असर  

फॉक्‍सवैगन द्वारा किया जाना वाला रिकॉल तो मुफ्त में होगा और कंपनी उपभोक्‍ताओं से स्‍वयं संपर्क कर गाड़ी जांच के लिए ले जाएंगी और उनमें गड़बड़ी को भी मुफ्त में सही करेंगी। लेकिन इतनी अधिक संख्‍या में रिकॉल होने से वाहनों की जांच और उसे सही करने में ज्‍यादा समय लग सकता है। ऐसे में आपको जितने दिन आपके पास गाड़ी नहीं होगी, तब तक यातायात के लिए अन्‍य साधनों का इस्‍तेमाल करना होगा।

कौन से वाहन होंगे रिकॉल

देश में पेट्रोल वाहन मालिकों को कोई परेशानी नहीं होगी। केवल डीजल वाहन मालिकों को ही इस जांच का सामना करना होगा। फॉक्‍सवैगन अपने पोलो, वेंटो, जेट्टा और पसाट के साथ ही साथ ऑडी ए3 व ए4 को रिकॉल करेगी, जिनमें ई189 डीजल इंजन लगाया गया है। इसके अलावा सरकार सभी तरह के डीजल यात्री वाहनों को जांच के लिए विभिन्‍न कंपनियों से रिकॉल करने के लिए कह सकती है।

फॉक्‍सवैगन की धोखाधड़ी सोचा समझा अपराध

भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते ने फॉक्‍सवैगन के उत्‍सर्जन संबंधी जांच में धोखाधड़ी को बहुत सोचा समझा अपराध बताया है। उन्‍होंने कहा कि इस कंपनी के साथ ही साथ अन्‍य कंपनियों के डीजल यात्री वाहनों की भी जांच की जाएगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे सभी नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय इस मामले को सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को भेज रहा है ताकि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

क्‍या है उत्‍सर्जन घोटाला

इस पूरे मामले की शुरुआत अमेरिका से हुई। वहां के एनवायरमेंटल प्रोटेक्‍शन एजेंसी (ईपीए) ने पाया कि अमेरिका में फॉक्‍सवैगन कार कंपनी के दावों के विपरीत सड़कों पर ज्‍यादा प्रदूषण फैला रही हैं। जांच में पाया गया कि कंपनी ने अपने इंजन में एक सॉफ्टवेयर का इस्‍तेमाल किया है, जो जांच के दौरान इंजन को सामान्‍य शक्ति से कम स्‍तर पर चलाता था, जिससे यह टेस्‍ट में पास हो जाता था। वहीं सड़क पर यह इंजन अमेरिका में स्‍वीकार्य सीमा से 40 गुना ज्‍यादा उत्‍सर्जन कर रहे थे। भारत में यह इंजन स्‍वीकार्य सीमा से 8-9 गुना ज्‍यादा उत्‍सर्जन कर रहे हैं।

क्‍या होगा भविष्‍य में

इस घोटाले के लिए फॉक्‍सवैगन पर अमेरिका में 18 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया है और इस वजह से कंपनी के शेयर की कीमत गिरकर एक तिहाई रह गई है। भारत सरकार भी कंपनी पर 32 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा सकती है। जांच में यदि अन्‍य कंपनियों द्वारा भी गड़बड़ी सामने आती है तो उन पर भी जुर्माना लगाया जाएगा। सबसे बड़ी बात कार्बन उत्‍सर्जन को कम करना है, जिसके लिए सरकार को 2030 तक 2.5 लाख करोड़ डॉलर की आवश्‍यकता है।

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