AGR dues Dispute: एयरटेल ने AGR राशि को लेकर सरकार को 10,000 करोड़ रुपए का किया भुगतान
भारती एयरटेल ने सोमवार को दूरसंचार विभाग को समायोजित सकल आय (एजीआर) के 10,000 करोड़ रुपए सांविधिक बकाये का भुगतान किया ।
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) भुगतान को लेकर सख्ती के बाद सोमवार को भारती एयरटेल ने दूरसंचार विभाग को समायोजित सकल आय (एजीआर) के 10,000 करोड़ रुपए सांविधिक बकाये का भुगतान किया। दूरसंचार विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को जानकारी दी थी कि भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ये सभी दूरसंचार कंपनियां दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए सोमवार (17 फरवरी) को एजीआर के तहत बकाये का भुगतान कर सकती हैं। तीनों कंपनियों पर संयुक्त रूप से एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का एजीआर बकाया है।
एक आधिकारिक सूत्र ने पीटीआई -भाषा से कहा, 'एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने कहा है कि वे सोमवार को भुगतान करेंगी। दूरसंचार विभाग कंपनियों द्वारा किये गये भुगतान का मूल्यांकन करने के बाद आगे की कार्रवाई करेगा।' वोडाफोन आइडिया ने बीते शनिवार को एक बयान में एजीआर का सांविधिक बकाया चुकाने का प्रस्ताव रखा। वोडाफोन आइडिया ने कहा कि वह एजीआर बकाए को लेकर कितना भुगतान किया जा सकता है, इसका आकलन कर रही है। वोडाफोन आइडिया ने कहा कि कारोबार का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में संशोधन के लिए दायर याचिका के परिणाम पर निर्भर करेगा। हालांकि, दूरसंचार विभाग ने समयसीमा में अब कोई छूट देने से स्पष्ट इनकार कर दिया।
उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर 2019 को दिये फैसले में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों पर सम्मिलित रूप से 1.47 लाख करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। इन कंपनियों को उच्चतम न्यायालय ने 23 जनवरी तक बकाये का भुगतान करने को कहा था। हालांकि, रिलायंस जिओ को छोड़ किसी भी कंपनी ने अभी तक भुगतान नहीं किया है। सरकारी कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल ने भी अब तक भुगतान नहीं किया है।
जानिए किस पर कितना है बकाया
उपलब्ध अंतिम अनुमान के हिसाब से एयरटेल पर 35,586 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया पर 53 हजार करोड़ रुपये, टाटा टेलीसर्विसेज पर 13,800 करोड़ रुपये, बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ रुपये और एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये में से करीब 1.13 लाख करोड़ रुपये वसूले जा सकते हैं। शेष राशि जिन कंपनियों पर बकाया है, वे कंपनियां कारोबार पहले ही समेट चुकी हैं। रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल इस समय दिवाला प्रक्रिया के तहत चल रही हैं।