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Hindi News पैसा बिज़नेस सरकार अगर बेचना चाहे एयर इंडिया तो नहीं मिलेंगे खरीदार, एयरलाइन की इस हालत के लिए कौन जिम्मेदार?

सरकार अगर बेचना चाहे एयर इंडिया तो नहीं मिलेंगे खरीदार, एयरलाइन की इस हालत के लिए कौन जिम्मेदार?

देश की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया की हालत इतनी खराब है कि अगर सरकार इसे बेचना चाहे तो भी कोई खरीदारी नहीं मिलेगा। कंपनी पर 50,000 करोड़ का कर्ज है।

नई दिल्ली। देश की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया की हालत इतनी खराब है कि अगर सरकार इसे बेचना चाहे तो भी कोई खरीदारी नहीं मिलेगा। यह बात हम नहीं बल्कि भारतीय विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू कह रहे हैं। इस क्रूर सच्चाई को विमानन मंत्री बेबाकी से कह तो रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसकी हालत इतनी खराब हुई कैसे? इंडियन एयरलाइंस का मर्जर 2007 में एयर इंडिया के साथ हुआ तब से कंपनी घाटे में चल रही है। एक्सपर्ट्स का मानते हैं कि मर्जर की वजह से एयर इंडिया की वित्तीय हालत बिगड़ गई। मर्जर के बाद मैनेजमेंट के लिए इतनी बड़ी कंपनी को संभालना आसान नहीं था। 30,000 से अधिक कर्मचारियों का खर्च उठाने की वजह से आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई।

एयर इंडिया पर 50,000 करोड़ का कर्ज

एयर इंडिया ने लंबे समय तक आक्रमक रूख अपनाते हुए अपने खर्च पूरा करने और नए जहाज को खरीदने के लिए बैंकों तथा फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन से बड़े पैमाने पर लोन लिया। दिसंबर 2015 तक कंपनी के ऊपर 50,000 करोड़ रुपए (7.5 अरब डॉलर) का कर्ज हो गया। एयरलाइन सालाना 4,000 करोड़ रुपए बतौर ब्याज चुका रही है, यही वजह है कि लगातार घाटा हो रहा है। इसी को देखते हुए सरकार ने एयर इंडिया को अपना लोन चुकाने के लिए 2012 में 30,000 रुपए (4.5 अरब डॉलर) का राहत पैकेज दिया था।

इस वजह से भी एयर इंडिया की हालत हुई खराब

एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट बन सकता है। इसी को देखते हुए देश में लगातार घरेलू प्राइवेट प्लेयर और विदेशी एयरलाइन कंपनियों की संख्या बढ़ रही है। इसके कारण भी सरकारी एयरलाइन कंपनी को नुकसान हो रहा है। अप्रैल 2016 में एयर इंडिया का घरेलू मार्केट शेयर सिर्फ 15.1 फीसदी रहा। प्राइवेट कंपनियां यात्रियों को सस्ते टिकट ऑफर रही हैं, जिसका फायदा उनको हुआ है। वहीं सरकारी एयरलाइन टैक्सपेयर्स के पैसे बर्बाद करने के लिए आलोचना झेल रही है। अब राजू ने कहा है कि कंपनी को बचाए रखने के लिए  टैक्सपेयर्स के पैसों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण वित्त वर्ष 2016 ऑपरेटिंग प्रॉफिट होने की उम्मीद है।

Source: Quartz India   

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