एयर इंडिया को बेचने का सरकार का ब्रेकअप प्लान, जल्द बिक्री के पक्ष में है सरकार
घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को बेचने का सैद्धांतिक फैसला कर चुकी मोदी सरकार, अब इसे कई हिस्सों में बेचने पर विचार कर रही है।
नई दिल्ली। घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को बेचने का सैद्धांतिक फैसला कर चुकी मोदी सरकार, अब इसे कई हिस्सों में बेचने पर विचार कर रही है। इस कदम के जरिए सरकार संभावित खरीदारों को आकर्षित करना चाहती है। पिछले महीने ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एयर इंडिया में डिसइन्वेस्टमेंट को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। इससे पहले एयर इंडिया के ऑपरेशन को जारी रखने के लिए सरकारें लगातार कई हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी हैं। एयर इंडिया पर करीब 55,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। 2012 में यूपीए सरकार ने उसे 30,000 करोड़ रुपए का बेल आउट पैकेज दिया था।
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नाम गोपनीय रखने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एयर इंडिया की बिक्री की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अगले साल की शुरुआत तक का समय निर्धारित किया है। अधिकारी ने कहा कि इस प्रक्रिया में काफी समय लगेगा। हालांकि, अभी इस बात का फैसला नहीं हो पाया है कि सरकार को अपने पास कुछ हिस्सेदारी रखनी चाहिए या फिर उसे पूरी तरह बेच देना चाहिए। एयर इंडिया के 40,000 कर्मचारियों में से 2500 का प्रतिनिधित्व करने वाले एक लेबर यूनियन के बेचने के फैसले का विरोध किया है। हालांकि वैचारिक रूप से उनका झुकाव बीजेपी की ओर है। एयर इंडिया की छह सहायक इकाइयां है जिनमें से तीन का कुल घाटा 30 हजार करोड़ रुपये है।
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केंद्र सरकार के पांच वरिष्ठ मंत्री, वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में इस महीने बैठक करेंगे और एयर इंडिया को बेचने की योजना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे। बैठक में विचार होगा कि कितनी हिस्सेदारी बेची जाए और साथ ही नीलामी प्रक्रिया के मानक भी तय किए जाएंगे। बैठक में कंपनी की तीन सहायक इकाइयों में विनिवेश, उसके कर्ज पर भी चर्चा होगी। विश्लेषकों के अनुसार, सरकार के इसे भारतीय खरीददारों को बेचने की ज्यादा संभावना है। शुरुआती दौर में टाटा संस और इंडिगो ने रुचि दिखाई है। पीएम मोदी के एक सहयोगी ने कहा कि अभी कुछ सप्ताह पहले पीएमओ और उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों ने एयर इंडिया की बिक्री में टाटा संस की रुचि देखने के लिए रतन टाटा से मुलाकात की थी। 1953 में एयर इंडिया के राष्ट्रीयकरण से पहले टाटा संस ही इसका परिचालन करता था। इसके अलावा इंडिगो ने भी गुरुवार को कहा था कि उसे एयर इंडिया के अंतरराष्ट्रीय परिचालन और एयर इंडिया एक्सप्रेस में रुचि है।