नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि उनका मकसद भारतीय वाहन उद्योग को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्यात के लिहाज से पांच साल में दुनिया में शीर्ष स्थान पर लाना है। गडकरी ने कहा, ‘‘भारत का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। इस समय हमारे वाहन उद्योग का कारोबार 7.5 लाख करोड़ रुपये है। पांच साल के भीतर यह 15 लाख करोड़ से अधिक हो जाएगा और यह उद्योग सबसे ज्यादा रोजगार, निर्यात, राज्य तथा केंद्र सरकार के लिए राजस्व सृजित कर रहा है।’’
उन्होंने अनंतकुमार स्मृति व्याख्यान के पहले संस्करण में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये कहा कि उनका दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता पांच वर्षों में इलेक्ट्रिक कार, स्कूटर, बस, ऑटोरिक्शा और ट्रकों के निर्यात के लिए भारतीय वाहन उद्योग को दुनिया में शीर्ष देश बनाने की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य निर्यात बढ़ाना, आयात कम करना है और साथ ही हम पर्यावरण के बारे में भी सतर्क हैं।’’ भारत सरकार फिलहाल इलेक्ट्रिक वाहनों पर काफी जोर दे रही है। सरकार कच्चे तेल की कीमतों में अनिश्चितता को देखते हुए महंगे पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम कर रही है। इसके लिये नीतियों में इस तरह के बदलाव किये जा रहे हैं जिससे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़े।
इसी हफ्ते केन्द्रीय मंत्री ने कहा था कि केंद्र सरकार देश में बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रही है और अगले दो साल में इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम घटकर पेट्रोल वाहनों के बराबर हो जाएंगे। उन्होंने कहा, ’’हम पेट्रोल और डीजल की आवश्यकता का 80 प्रतिशत आयात करते है। हम आठ लाख करोड़ रुपये के पेट्रोल और डीजल का आयात करते हैं। अगर हम जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रहेंगे, तो अगले पांच साल में हमारा आयात बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हम देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं और अगले दो वर्षों में आपका वाहन इलेक्ट्रिक हो जाएगा। एक पेट्रोल कार की ईंधन लागत एक महीने में 12,000-15,000 रुपये के आसपास लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन के मामले में यह 2,000 रुपये होगी।’’ उन्होंने कहा कि अगले दो साल में देश में इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत पेट्रोल वाहन के बराबर होगी।
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