नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े अस्पताल ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) में बीपीएल के नाम पर मुफ्त इलाज और जांच करवाने जैसी धोखाधड़ी पर अब लगाम लग सकेगी। एम्स ने बीपीएल कार्ड पर मुफ्त इलाज की सुविधा लेने वाले मरीजों के लिए ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम की शुरूआत की है। इसके तहत रजिस्ट्रेशन के वक्त मरीज से उसका आधार कार्ड मांगा जाएगा। जिसके आधार पर उसकी ऑनलाइन ट्रैकिंग की जाएगी।
गरीब मरीजों को होगा फायदा
एम्स के अधिकारियों का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य सिस्टम को ज्यादा से ज्यादा ट्रांसपेरेंट बनाना है। इससे जहां फर्जीवाड़ा करने वालों पर लगाम कस सकेगी। साथ ही सही व्यक्ति को मुफ्त इलाज उपलब्ध करवाने में भी एम्स प्रशासन को आसानी होगी। अधिकारियों के अनुसार हाल फिलहाल की ऐसी घटनाएं हैं जब मरीजों ने जेनेटिक टेस्ट, हार्मोन प्रोफाइलिंग, एमआरआई, सीटी स्कैन इत्यादि जैसी सुविधाएं हासिल करने के लिए गलत तरीके अख्तियार किए। बीपीएल श्रेणी के लोगों को ये सेवाएं निशुल्क प्रदान की जाती हैं। कुछ सेवाएं सब्सिडीकृत दरों पर भी प्रदान की जाती हैं।
अभी तक वैरिफिकेशन में लगता था लंबा वक्त
एम्स के आईटी शाखा प्रभारी डॉ.दीपक अग्रवाल ने कहा पहले बीपीएल श्रेणी के रोगियों का वैरिफिकेशन हाथ से किया जाता था, जिसमें बहुत समय लगता था। ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया तेज, ज्यादा सटीक और पारदर्शी है। इसके तहत जो मरीज बीपीएल कार्ड लेकर आएगा। स्टेट वाइज कार्ड की डिटेल वैरीफाइ की जाएगी। जिसमें बहुत कम समय लगेगा। नए सिस्टम के तहत एक बार वैरीफाई होने के बाद वह मरीज एम्स के किसी भी डिपार्टमेंट में इलाज की सुविधा हासिल कर सकता है।
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