नई दिल्ली। जून तिमाही में जीडीपी में आशंकाओं के मुताबिक ही तेज गिरावट देखने को मिली है, हालांकि ये गिरावट और तेज हो सकती थी अगर कृषि सेक्टर से अर्थव्यवस्था को सहारा नहीं मिलता। बेहतर मॉनसून और कोरोना काल में भी कृषि सेक्टर के लिए गतिविधियां जारी ऱखने के लिए किए गए उपायों से जून तिमाही में कृषि सेक्टर में 3.4 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। सभी सेक्टर में सिर्फ एग्री सेक्टर ही ऐसा रहा जिसमें ग्रोथ देखने को मिली है।
ग्रामीण क्षेत्र में ग्रोथ का असर कई दूसरे सेक्टर में देखने को मिल रहा है। ट्रैक्टर सहित कृषि उपकरणों और दोपहिया वाहनों की बिक्री को ग्रामीण मांग से मदद मिलने के संकेत हैं। कई ऑटो सेक्टर की ट्रैक्टर सेल्स में कोरोना काल के दौरान भी ग्रोथ देखने को मिली है। वहीं COAI और TRAI के आंकड़ों के मुताबिक सब्सक्रिप्शन के मामले में टेलीकॉम कंपनियों को शहरों में हुए नुकसान की भरपाई गावों की ग्रोथ से हो रही है। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि किसानों को गांवों में ही बेहतर आय की उम्मीद से ये असर देखने को मिल रहा है।
खास बात ये है कि कोरोना काल में भारतीय किसान न केवल घरेलू जरूरतें पूरी कर रहा है साथ ही दुनिया भर के कई देशों के लिए भी सहारा बन गया है। मार्च से जून के दौरान एग्री कमोडिटी का एक्सपोर्ट 23 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। जिसकी कीमत 25,500 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इससे भारत को महामारी के दौरान नए बाजारों में अपनी पहुंच बनाने में मदद मिली है। सरकार के मुताबिक देश में फसल के बंपर उत्पादों के अनुमान से ही एक्सपोर्ट को बढ़ाने में मदद मिली है।
पिछले हफ्ते जारी हुई क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल रकबा बढ़ने के साथ साथ उत्पादकता भी बढ़ने से बंपर खरीफ उत्पादन होने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक खरीफ सत्र 2020 में बुवाई का रकबा दो से तीन प्रतिशत बढ़कर 10.9 करोड़ हेक्टेयर होने से कृषि उत्पादन में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त उत्पादकता भी दो से तीन प्रतिशत बढ़ने से, बम्पर खरीफ उत्पादन होने के आसार हैं।
वहीं सरकार और इंडस्ट्री के प्रमुख संगठनों द्वारा जारी अनुमानों के मुताबिक खरीफ सीजन के दौरान सबसे ज्यादा पैदा होने वाले तिलहन सोयाबीन की उपज में इस साल 31 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी का अनुमान है। वहीं धान का कुल रकबा पिछले साल के मुकाबले 12 प्रतिशत, दलहनों की बुवाई का रकबा 6.8 प्रतिशत, तिलहन फसलों की बुवाई में 14 प्रतिशत, कपास की फसल के क्षेत्र में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.4 प्रतिशत की बढ़त रही है।
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