नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पूर्व बैठकों के तहत कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री से कहा कि किसानों को 4 फीसदी ब्याज पर 5 लाख रुपए तक कर्ज उपलब्ध कराया जाए। साथ ही एमएसपी बढ़ाने, फसल बीमा कवरेज बढ़ाने और स्थायी निर्यात नीति बनाने की भी मांग की।
फिलहाल किसान 7% ब्याज पर 3 लाख रुपए तक का ही कर्ज ले सकते हैं। समय पर लोन चुकाने पर उन्हें ब्याज में 3% छूट मिलती है। कृषि विशेषज्ञों ने कृषि उत्पादक संगठनों और कृषि-सहकारिता समितियों को मुनाफे पर आयकर में छूट की मांग भी की। दो घंटे चली बैठक के बाद कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन (सिफा) के सेक्रेटरी जनरल बीडी रामी रेड्डी ने कहा कि किसानों की हालत बेहद खराब है। सरकार उचित कदम नहीं उठा रही। वहीं वित्त मंत्री ने कहा कि संकट के दौर से गुजरने वाले कृषि क्षेत्र को उबारने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को कृषि उपज की लागत में 50% मुनाफा जोड़कर एमएसपी तय करना चाहिए। यही वादा भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में भी किया था। किसान संगठन भारत कृषक समाज (बीकेएस) के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ के मुताबिक सरकार को दो लाख रुपए तक कर्ज पाने वाले किसानों की संख्या बढ़ाकर दोगुनी करनी चाहिए और इसके लिए एक फीसदी ब्याज लेना चाहिए। सरकार को कृषि कर्ज पर ब्याज में दी जाने वाली छूट खत्म करनी चाहिए और छोटे किसानों को बैंकों से कर्ज मुहैया कराने में सुधार के कदम उठाने चाहिए।
फर्टिलाइजर उद्योग की संस्था एफएआई ने बैठक के दौरान कहा कि किसानों को सीधे यूरिया सब्सिडी ट्रांसफर करने की सुविधा शुरू होनी चाहिए। 50,000 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया के भुगतान के लिए अगले तीन साल तक बजट में अधिक राशि का आवंटन होना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि कृषि उत्पादक संगठनों और कृषि-सहकारिता समितियों को मुनाफे पर आयकर में छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने मिल्क पाउडर का बफर स्टॉक बनाने, बटर ऑयल के आयात पर रोक लगाने या इस पर आयात शुल्क बढ़ाने और रबर के आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने का सुझाव भी दिया।
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