नई दिल्ली। नोटबंदी का फैसला कितना गोपनीय रखा गया था इसका अंदाजा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बयान से लगाया जा सकता है। अपनी किताब के सिलसिले में भारत आए रघुराम राजन एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि नोटबंदी की जानकारी उन्हें भी नहीं थी और खुद उनको भी अपने पास रखे पुराने 500 और 1000 के पुराने नोटों को बदलवाने के लिए भारत आना पड़ा था।
गौरतलब है कि रघुराम राजन नोटबंदी से करीब 2 महीने पहले ही RBI गवर्नर पद से हटे थे, 4 सितंबर 2016 को रघुराम राजन ने RBI गवर्नर का पद छोड़ा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इससे करीब 2 महीने बाद यानि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा कर दी थी। प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के फैसले को इतना गोपनीय रखा था कि 2 महीने पहले पद छोड़ने वाले RBI गवर्नर को भी इसकी जानकारी नहीं थी।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को कहा कि उन्हें केंद्र सरकार के नोटबंदी के कदम की कोई जानकारी नहीं थी और यही कारण है कि उन्हें तो खुद नोट बदलवाने के लिए अमेरिका से भारत वापस आना पड़ा था। अपनी किताब के सिलसिले में यहां आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि वे कभी भी नोटबंदी के पक्ष में नहीं रहे क्योंकि उनका मानना था कि नोटबंदी की तात्कालिक लागत इसके दीर्घकालिक फायदों पर भारी पड़ेगी।
गवर्नर पद पर राजन का तीन साल का कार्यकाल चार सितंबर 2016 को पूरा हो गया। सरकार ने आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया। एक अन्य सवाल के जवाब में राजन ने कहा कि जीडीपी वृद्धि को बल देने के लिए भारत को तीन क्षेत्रों बुनियादी ढांचा, बिजली व निर्यात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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