मुंबई। सरकार की देश में पेट्रोल पंपों की संख्या बढ़ाकर दोगुना करने की योजना को एक रिपोर्ट में आर्थिक दृष्टि से अव्यावहारिक बताया गया है। क्रिसिल रिसर्च ने गुरुवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पेट्रोल पंपों की संख्या बढ़ाना उचित नहीं होगा। इससे न केवल ये पेट्रोल पंप एक दूसरे की बिक्री में कटौती करेंगे बल्कि इससे उनका मुनाफा भी प्रभावित होगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की तीन पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) ने पिछले साल नवंबर में देश में 78,493 और पेट्रोल पंप खोलने के लिए विज्ञापन निकाला था। देश में पहले से 64,624 पेट्रोल पंप परिचालन में हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां ही नहीं निजी क्षेत्र के खिलाड़ी भी पेट्रोल पंपों की संख्या बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और बीपी पीएलसी का संयुक्त उद्यम और नायरा एनर्जी लिमिटेड (पूर्व में एस्सार ऑयल लि.) दोनों की अगले तीन साल में 2,000-2,000 पेट्रोल पंप खोलने की योजना है। वहीं रॉयल डच शेल की योजना इस अवधि में 150 से 200 पेट्रोल पंप खोलने की है।
पेट्रोल पंप खोलने के अलावा परिचालक उन पेट्रोल पंपों को बंद भी करेंगे, जिनमें बिक्री का स्तर व्यवहारिक नहीं हैं। वित्त वर्ष 2029-30 तक निजी क्षेत्र की कंपनियां 7,500 से 8,000 पेट्रोल पंप जोड़ सकती हैं।
रिपोर्ट कहती है कि विश्लेषण से पता चलता है कि 78,000 से ज्यादा नए पेट्रोल पंप खोलना आर्थिक लिहाज से वहनीय नहीं होगा। क्रिसिल शोध में कहा गया है कि प्रस्तावित संख्या के मुकाबले करीब आधे यानी 30,000 और पेट्रोल पंप खोलने की ही गुंजाइश बनती है।
क्रिसिल रिसर्च ने यह आकलन पेट्रोल पंप की स्थापना पर होने वाले निवेश और डीलर के स्वामित्व और परिचालन (डीओडीओ) मॉडल के आधार पर किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि प्रस्तावित पेट्रोल पंप के मुकाबले 30 प्रतिशत यानी करीब 30,000 पेट्रोल पंप खोले जाते हैं तो ये 12 साल से अधिक की अवधि में लाभ कमाने की स्थिति में पहुंच पाएंगे और डीलर का रिटर्न 12 से 15 प्रतिशत पर स्थिर रह सकेगा।
हालांकि, प्रस्तावित संख्या में से यदि 50 प्रतिशत पेट्रोल पंपों को खोला जाता है तो कुछ साल इनमें बिक्री उम्मीद से कम रहेगी और बाद में स्थिति में कुछ सुधार आ सकता है।
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