नई दिल्ली। दूसरी तिमाही में अनुमान से बेहतर रहे जीडीपी के आंकड़ों के बाद एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारतीय अर्थवस्था के लिए मौजूदा वित्त वर्ष के लिए विकास दर में गिरावट के अपने अनुमान में कमी की है। गुरुवार को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अपने अनुमानों को संशोधित करते हुए एडीबी ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान आठ प्रतिशत गिरावट देखने को मिल सकता है, जबकि पहले इसके नौ प्रतिशत रहने का अनुमान दिया गया था। एशियाई विकास परिदृश्य (एडीओ) की अनुपूरक रिपोर्ट में कहा गया कि अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति की ओर लौट रही है और दूसरी तिमाही में संकुचन 7.5 प्रतिशत रहा, जो उम्मीद से बेहतर है। कोरोना वायरस महामारी के चलते अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही के दौरान 23.9 प्रतिशत का संकुचन हुआ था। खास बात ये है कि भारत के बेहतर प्रदर्शन की वजह से पूरे क्षेत्र के लिए अनुमान भी सुधर गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘वित्त वर्ष 2020 के लिए जीडीपी के अनुमानों को नौ प्रतिशत संकुचन से बढ़ाकर आठ प्रतिशत कर दिया गया है, और दूसरी छमाही में जीडीपी के एक साल पूर्व के समान रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वृद्धि का अनुमान आठ प्रतिशत पर यथावत है।’’ रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में आर्थिक भरपाई उम्मीद से बेहतर है और इस कारण दक्षिण एशिया में गिरावट के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से संशोधित कर 6.1 प्रतिशत कर दिया गया है।
इससे पहले क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने भी कहा था कि घरेलू अर्थव्यवस्था में जोखिम कम होने की उम्मीद है जो कि कोविड संक्रमण के स्थिर होने या कम होने के संकेतों पर निर्भर है। एजेंसी के मुताबिक वो इन संकेतों का इंतजार करेगी और सकारात्मक संकेत मिलने पर वो विकास दर के अनुमानों को संशोधित कर सकती है। हालांकि अपनी हाल की रिपोर्ट में एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में नौ प्रतिशत गिरावट आने का पूर्वानुमान बरकरार रखा है। एसएंडपी ने एशिया प्रशांत क्षेत्र की अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकती है। एसएंडपी ने कहा, ‘‘हमने 2020-21 में जीडीपी में नौ प्रतिशत गिरावट और 2021-22 में 10 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान बरकरार रखा है। महामारी अभी नियंत्रण में नहीं है, लेकिन लोगों की आवाजाही व घरेलू खर्च में तेजी से सुधार हो रहा है। ऐसे में वृद्धि के मोर्चे पर जोखिम कम होने की उम्मीदें हैं।’’
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