मेलबोर्न। भारत के प्रमुख खनन समूह अडानीसमूह की ऑस्ट्रेलिया स्थित कोयला खान परियोजना के खिलाफ स्थानीय समूह द्वारा दायर की गई एक याचिका को ब्रिस्बेन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके बाद 16.5 अरब डॉलर की इस विवादित परियोजना के रास्ते से एक और अवरोध हट गया है। कार्माइकल कोयला खान परियोजना विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है। क्वींसलैंड और संघीय सरकार की ओर से मंजूरी के बाद इस पर इस साल से काम शुरु होगा।
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इस परियोजना के तहत 11 लाख घन मीटर की गाद निकाली जानी है जो पर्यावरण की दृष्टि से अहम ग्रेट बैरियर रीफ मरीन पार्क के करीब है। इसलिए यह परियोजना विवाद का विषय बन गई है क्योंकि स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि, कई पर्यावरण और राजनीतिक समूहों द्वारा निशाना बनाए जाने के बावजूद अडानी समूह ने इस परियोजना को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जतायी है जो आर्थकि समृद्धि और क्वींसलैंड के हजारों लोगों के लिए रोजगार सृजन करेगी।
इस साल मई में वानगान और जगलिनगोउ समूह के वकीलों ने अदालत में जिरह की थी कि अडानी समूह को खनन का पट्टा देना गैर-कानूनी होगा क्योंकि प्रस्तावित कार्माइकल क्षेत्र से संबंधित मूल निवासी मालिकाना हक का मुद्दा सुलझाने के लिए उसने राज्य सरकार को पर्याप्त अवसर नहीं दिया है। इन समूहों का गैलीली बेसिन में प्रस्तावित इस खान क्षेत्र के मूल निवासी होने और इस पर मालिकाना हक का दावा है।
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हालांकि, अडानी और राज्य सरकार का कहना है कि क्षेत्र के पारंपरिक मालिकों ने खान पर खनिज संसाधन कानून 1989 के नियमों के तहत कोई आपत्ति नहीं जताई है। आज के फैसले पर डब्ल्यू एंड जे ट्रेडिशनल ओनर्स काउंसिल के वरिष्ठ प्रवक्ता एड्रियन बुरागुब्बा ने कहा कि जहां खनन हो रहा है वहां पारंपरिक मालिकों के साथ न्याय नहीं हुआ है। हम अभी हारे नहीं है और अपने देश और अधिकारों की रक्षा के लिए हम सभी कानूनी विकल्पों का सहारा लेंगे। इसी बीच अडानी समूह ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है।
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