लखनऊ: सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उदयम (एमएसएमई) विभाग के अनुसार, उत्तर प्रदेश में देश के अधिकतम करीब 14 फीसदी एमएसएमई कार्यरत हैं और इस साल 13 लाख एमएसएमई इकाइयों को 42 हजार सात सौ करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए हैं। प्रदेश में यह पहली बार हुआ है कि एक साल में एमएसएमई सेक्टर को इतनी बड़ी मात्रा में कर्ज उपलब्ध कराया गया है। इससे निजी क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 65 लाख लोगों के लिये रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उदयम विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि हाल ही में एसएलबीसी की उप समिति की समीक्षा की गयी। उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत बैंकों के स्तर पर स्वीकृति और वितरण के लिए लंबित आवेदनों पर जल्द कदम उठाने का निर्देश दिया। उन्होंने एमएसएमई साथी ऐप पर बैंकों से संबंधित मामलों के निस्तारण के लिए शीघ्र आवश्यक कार्यवाही करने का भी निर्देश दिया।
एसएलबीसी (स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी) के संयोजक ब्रजेश कुमार सिंह ने दिसंबर 2020 को समाप्त तिमाही के दौरान प्रदेश की महत्वपूर्ण बैंकिंग गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि प्रदेश में कुल सक्रिय जनधन खातों के सापेक्ष पीएमएसबीवाई में 41.16 फीसदी खातों को कवर किया जा चुका गया है।
प्रदेश सरकार की “वन जीपी, वन बीसी” कार्यक्रम की शुरूआत हो गई है, जिसके तहत प्रदेश में 58 हजार बीसी सखी (बैकिंग सेवा सखी) की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है। चालू वित्त वर्ष के समाप्त तिमाही तक वार्षिक ऋण योजना के तहत 1,45,850 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया जा चुका है। केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के अवर सचिव अमिल अग्रवाल ने बैंकों और नाबार्ड से एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के उपयोग के लिए संभावित परियोजनाओं और उद्यमियों तक पहुंचने के लिए आवश्यक कदम उठाने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होंने एसएलबीसी की बैठकों में समय-समय पर एनबीएफसी को भी शामिल करने का सुझाव दिया, ताकि उनके सुझाव भी मिल सकें।
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