संवैधानिकता की कसौटी पर खरा उतरेगा आधार कानून, सुरक्षित हैं आधार के आंकड़े और लोगों की प्राइवेसी : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आधार कानून संवैधानिकता की कसौटी पर खरा उतरेगा और लोगों से जुड़ी जानकारी व आंकड़ों की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं।
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा जताते हुए कहा कि आधार कानून संवैधानिकता की कसौटी पर खरा उतरेगा। उन्होंने कहा कि इसमें लोगों से जुड़ी जानकारी आंकड़ों की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं। जेटली ने फाइनेंशियल इन्क्लूजन पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही। जेटली की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब आधार को सरकारी योजनाओं तथा पैन कार्ड से अनिवार्य रूप से जोड़ने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
आधार के बारे में जेटली ने कहा कि यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय एक नया विचार था लेकिन इसे विधायी समर्थन नहीं मिला था। भारतीय जनता पार्टी की सरकार में इसे कानूनी संरक्षण मिला है और निजता एवं आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
यह भी पढ़ें : रोज बढ़ते-घटते रहेंगे पेट्रोल और डीजल के दाम, इस व्यवस्था में बदलाव से सरकार ने किया साफ इनकार
वैधानिकता के पैमाने पर खरा उतरेगा आधार
उन्होंने कहा कि आंकड़ों की गोपनीयता पर बहस तथा इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कानून की आवश्यकता थी। आधार विधेयक पारित हो चुका है और मुझे यकीन है कि यह वैधानिकता के पैमाने पर खरा उतरेगा। पिछले महीने उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था। न्यायालय ने कहा था कि यह अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार और निजी स्वतंत्रता का अभिन्न हिस्सा है।
जेटली ने आगे कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने हालिया फैसले में निजता के अधिकार को महत्वपूर्ण संवैधानिक गारंटी बताते हुए युक्तिसंगत प्रतिबंधों की बात की थी। लाभार्थियों तक सब्सिडी नहीं पहुंचने और संसाधन की बर्बादी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार आप पहचान नेटवर्क तैयार कर लेते हैं तब आप यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि सामाजिक लाभ उन लोगों तक पहुंचे जो इसका वास्तविक हकदार है और जिसको लक्ष्य कर यह बनाया गया, उन्हें प्राप्त हो क्योंकि संसाधन सीमित है।
जन धन योजना के तहत खुले खातों में सिर्फ 20 फीसदी शून्य बैलेंस वाले
वित्तीय समावेशन के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले तीन साल में जन धन योजना के तहत 30 करोड़ परिवारों के बैंक खाते खोले गए हैं। इस योजना से पहले करीब 42 प्रतिशत परिवार ऐसे थे, जो बैंक सेवा से जुड़े हुए नहीं थे। उन्होंने कहा कि जन धन योजना बैंक खाते खोलने की देश की सबसे बड़ी मुहिम है। इसका लक्ष्य सभी व्यावसायिक बैंकों में शून्य बैलेंस पर खाते खोलकर प्रत्येक परिवार को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ना था।
अरुण जेटली ने कहा कि शून्य बैलेंस वाले बैंक खातों का अनुपात 77 प्रतिशत से कम होकर 20 प्रतिशत रह गया है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) सुविधा का विस्तार होने से ये बैंक खाते भी परिचालन में आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि योजना की शुरुआत के तीन महीने बाद सितंबर 2014 में 76.81 प्रतिशत खातों में जमा राशि शून्य थी। अब इस तरह के खाते कम होकर 20 प्रतिशत रह गए हैं। उन्होंने जन धन योजना को श्रेय देते हुए कहा कि अब 99.99 प्रतिशत परिवारों के पास कम से कम एक बैंक खाता हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अगस्त 2014 को पीएमजेडीवाई (प्रधानमंत्री जनधन योजना) की शुरुआत की थी। इसका मकसद गरीबों को वित्तीय सेवा उपलब्ध कराना थी। इसमें गरीबों का बैंक खाता खोलना, उन्हें रूपे कार्ड के जरिए भुगतान का इलेक्ट्रानिक भुगतान का जरिया उपलब्ध कराना और उन्हें ऋण और बीमा लेने में सक्षम बनाना था।
यह भी पढ़ें : रेस्टोरेंट्स में वसूले गए सर्विस चार्ज पर सरकार लगा सकती है टैक्स, उपभोक्ता विभाग ने CBDT को लिखा
8.77 करोड़ लोगों को मिला मुद्रा योजना का लाभ
जेटली ने कहा कि फाइनेंशियल इन्क्लूजन के अलावा सरकार ने गरीबों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) तथा दुर्घटना बीमा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के जरिए सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये कदम उठाए गए। पीएमजेजेबीवाई के तहत 3.6 करोड़ तथा पीएमएसबीवाई के तहत 10.96 करोड़ लोगों ने पालिसी ली। दोनों योजनाओं में कुल पालिसीधारकों में 40 प्रतिशत महिलाएं हैं। मुद्रा योजना के बारे में जेटली ने कहा कि इससे 8.77 करोड़ लोग लाभान्वित हुए और अधिकतर लाभार्थी महिलाएं हैं।
नोटबंदी से हुए ये फायदे
नोटबंदी के परिणाम के बारे में बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अन्य लाभों के अलावा इससे नकद लेनदेन की मात्रा कम करने और डिजिटलीकरण को गति देने, कर आधार बढ़ाने तथा अर्थव्यवस्था को और संगठित बनाने में मदद मिली है। नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में नकदी की मात्रा में कमी पर जोर दिया गया है।
जेटली ने कहा कि पिछले तीन साल में सरकार राजनीतिक और आर्थिक एजेंडे में फाइनेंशियल इन्क्लूजन को केंद्र में लाने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि नीति निर्माताओं को इस दिशा का अनुकरण करना होगा और वे इस प्रवृत्ति को पलटने में कामयाब नहीं होंगे।