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आधार को जल्‍द मिलेगी कानूनी मान्‍यता, सरकार ने तैयार किया कानून का ड्राफ्ट

आधार को लेकर छिड़ी कानूनी लड़ाई के बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि विशिष्ट पहचान संख्या को सांविधिक समर्थन देने के लिए कानून का मसौदा तैयार है।

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नई दिल्‍ली। विशिष्‍ट पहचान संख्‍या (आधार) को लेकर छिड़ी कानूनी लड़ाई के बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) या आधार नंबर को सांविधिक समर्थन देने के लिए कानून का मसौदा तैयार है और इस बारे में फैसला उचित समय पर लिया जाएगा।  दिल्ली आर्थिक सम्मेलन के समापन सत्र में वित्त मंत्री अरण जेटली ने अपने संबोधन में कहा कि मेरा मानना है कि राज्य सरकारों और राजनीतिक समूहों के बीच आधार की उपयोगिता और जरूरत को पहचान लिया गया है। उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति में हैं, जब इस बारे में मामला अदालत में लंबित है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी स्थिति नहीं हो सकती, जहां आधार को सरकार द्वारा अपनाए जाने वाले उपायों में स्वीकार्य किया जाए और अन्य के मामले में इसे स्वीकार न किया जाए।

उन्होंने कहा, मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि सरकार तथा इसे लागू करने के इच्छुक लोगों के विचारों को निश्चित रूप से अदालत के समक्ष रखा जाएगा। यदि जरूरी हुआ तो कानून का मसौदा तैयार है। ऐसे में किसी समय सरकार इसे लागू करने का फैसला कर सकती है। उन्होंने कहा कि किसी सरकार के समक्ष अदालत में या विधायिका दोनों के समक्ष जाने का विकल्प होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आधार और जैम ट्रिनिटी टिकने के लिए आए हैं। इसी सम्मेलन में यूआईडीएआई के पूर्व चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने सुझाव दिया कि आधार को लेकर अनिश्चितता को दूर करने के कदम उठाए जाने चाहिए।

देश में आधार कार्ड सबसे व्यापक पहचान दस्तावेज

देश में 92 करोड़ लोगों का आधार नंबर पंजीकृत हो चुका है। इस आधार पर देश में आधार कार्ड सबसे व्‍यापक पहचान दस्‍तावेज बन चुका है। इसकी तुलना में देश में केवल 5.7 करोड़ लोगों के पासपोर्ट, 17 करोड़ लोगों के पास पैन कार्ड, 60 करोड़ लोगों के पास मतदाता पहचान पत्र, 15 करोड़ लोगों के पास राशन कार्ड और 17.3 करोड़ लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस है।

सरकारी योजनाओं में बचे 2600 करोड़

राज्‍य व केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार ने सामाजिक योजनाओं में फर्जी दावों को कम कर प्रभावी रूप से 2600 करोड़ रुपए की बचत करने में मदद की है। इतना ही नहीं इससे सामाजिक योजनाओं के क्रियान्‍वयन में काफी पारदर्शिता आई है और भ्रष्‍टाचार भी कम हुआ है।

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