1.02 लाख करोड़ रुपए बाजार में आने से इकोनॉमी को मिलेगा बूस्ट, सरकार की बढ़ेंगी मुश्किलें
इसका सीधा मतलब है कि इस साल बाजार में अतिरिक्त 1.02 लाख करोड़ रुपए आएंगे, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी। वहीं सरकार पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।
नई दिल्ली। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। इससे 47 लाख केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन वृद्धि और 52 लाख पेंशनर्स की पेंशन बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। नया वेतनमान 1 जनवरी 2016 से लागू होगा और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि एरियर का भुगतान इसी साल कर दिया जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि इस साल बाजार में अतिरिक्त 1.02 लाख करोड़ रुपए आएंगे, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी। वहीं सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ बढ़ने से राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पाना मुश्किल होगा, वहीं मांग बढ़ने से महंगाई बढ़ने के खतरे से भी सरकार को दो-चार होना होगा।
7वें वेतन आयोग की मुख्य सिफारिशें
- केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में 23.55 फीसदी तथा पेंशन में 24 फीसदी का इजाफा किया जाए।
- न्यूनतम और अधिकतम वेतन क्रमश: 18,000 रुपए प्रति माह और 2.25 लाख रुपए प्रति माह होना चाहिए।
- वार्षिक वेतन वृद्धि 3 फीसदी की दर से होनी चाहिए।
- सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए वन रैंक वन पेंशन स्कीम लागू की जानी चाहिए।
1 करोड़ उपभोक्ताओं की जेब में आएंगे 1.02 लाख करोड़ रुपए
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से एक करोड़ उपभोक्ताओं के हाथ में तकरीबन 1.02 लाख करोड़ रुपए इस साल आएंगे, जो कि बाजार की मांग को बढ़ाएगा। इसके अलावा विभिन्न राज्य भी अपने-अपने कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के मुताबिक लाभ देंगे, इससे भारतीय उपभोक्ताओं की खर्च योग्य आय में बहुत ज्यादा वृद्धि होगी और भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा बूस्ट मिलेगा।
ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की बढ़ेगी मांग
जब किसी व्यक्ति की आय में इजाफा होता है, तो वह अपनी जरूरतों को पूरा करने वाली चीजों और अपने स्टेट्स को अपग्रेड करने पर पैसा खर्च करता है। इस वेतनवृद्धि की वजह से घर, वाहन और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स प्रोडक्ट्स जैसे एसी, टीवी, फ्रिज, वॉशिंगमशीन आदि की मांग बढ़ेगी। इसलिए वेतनवृद्धि का प्राथमिक लाभ ऑटोमोबाइल सेक्टर, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, रियल एस्टेट, बैंकिंग और एनबीएफसी को होगा।
2008 में जब 6वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया था, तब 2009-10 और 2010-11 में यात्री कार और टू-व्हीलर्स की बिक्री में बहुत अधिक वृद्धि दर्ज की गई थी। इन दो लगातार सालों में यात्री कार और टू-व्हीलर्स की बिक्री में 25 फीसदी का इजाफा हुआ था। हालांकि इसके दो अन्य कारक भी थे। पहला ऑटो सेल्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को 8 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया। दूसरा, 6वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2006 से लागू हुआ इस वजह से सरकार ने 2009 और 2010 में दो किस्तों में 18,000 करोड़ रुपए के एरियर का भी भुगतान किया।
नए वेतन आयोग से सबसे ज्यादा फायदे में रहने वाला दूसरा सेक्टर है रियल एस्टेट। 6वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद रेजीडेंशियल प्रॉपर्टी की मांग में इजाफा हुआ था। हालांकि 2011 के बाद अत्यधिक ब्याज दरों के कारण मांग में गिरावट आई। वर्तमान में रियल एस्टेट सेक्टर कमजोर है क्योंकि यहां मांग कमजोर है। लेकिन अब खर्च योग्य आय में वृद्धि होने और ब्याज दरों के घटने से रियल एस्टेट सेक्टर में मांग बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
खर्च योग्य आय में वृद्धि होने से कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की मांग भी बढ़ती है। ऑटोमोबाइल्स, रियल एस्टेट और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की मांग बढ़ने से बैंक और एनबीएफसी के लोन की मांग भी स्वत: बढ़ती है। इसलिए इन दो सेक्टरों को भी फायदा होता है।
राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका
2016-17 में 7वें वेतन आयोग को लागू करने से सरकार पर अतिरिक्त 1.02 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 0.7 फीसदी) का बोझ बढ़ेगा। ऐसे में सरकार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा। इससे सरकार का खर्च बढ़ेगा। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सरकार ने 3.5 फीसदी और 2017-18 के लिए 3 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय किया है।
महंगाई बढ़ने का खतरा
आरबीआई ने यह फिर दोहराया है कि 7वें वेतन आयोग लागू होने से कंज्यूमर प्राइस इनफ्लेशन इंडेक्स (सीपीआई) आधारित महंगाई दर के बढ़ने का खतरा है। अब जबकि सरकार ने वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है ऐसे में सबकी निगाहें 9 अगस्त को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति की बैठक पर टिकी हैं, जिसमें महंगाई दर के नए आंकड़े पेश किए जाएंगे।