नयी दिल्ली: ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 74 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नियामक संस्था ट्राई की 'डो नॉट डिस्टर्ब' सूची में होने के बावजूद उन्हें अवांछित वाणिज्यक एसएमएस मिल रहे हैं। ऑनलाइन मंच 'लोकलसर्कल्स' द्वारा रविवार को जारी की गयी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी। सर्वेक्षण के अनुसार, "74 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नियामक संस्था ट्राई की 'डो नॉट डिस्टर्ब' सूची में होने के बावजूद उन्हें अवांछित एसएमएस मिल रहे हैं।"
वहीं 26 प्रतिशत लोगों ने कहा कि करीब 25 प्रतिशत अवांछित एसएमएस मोबाइल सेवा प्रदाताओं द्वारा भेजे जाते हैं जबकि बैंकिंग, बीमा, रियल इस्टेट, स्थानीय सेवाएं और पैसे कमाने की पेशकश स्पैम एसएमएस में मुख्य योगदान देते हैं। 'डो नॉट डिस्टर्ब' सूची का मतलब परेशान करने वाले कॉल या मैसेज से उपयोगकर्ताओं को बचाना है। सर्वेक्षण में देश के 324 जिलों के 35,000 लोग शामिल थे। इसमें पता चला कि 73 प्रतिशत लोगों को हर दिन चार या उससे ज्यादा अनचाहे एसएमएस मिलते रहे हैं। इसेसे पहले हाल में दूरसंचार विभाग ने परेशान करने वाले कॉलर पर जुर्माने के नियमों को और सख्त कर दिया ह।
विभाग ने दूरसंचार संसाधनों या सेवाओं का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी करने के मामलों में विधि प्रवर्तन एजेंसियों, वित्तीय संस्थानों और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए दो खास इकाइयों का गठन किया। इनमें डिजिटल इंटेलीजेंस यूनिट (डीआईयू) और टेलीकॉम एनलिटिक्स फोर फ्रॉड मैनेजमेंट एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन (टीएएफसीओपी) शामिल हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) परेशान करने वाले कॉल से जुड़े नियमों का प्रबंधन करता है। इसमें परेशान करने वाले कॉलर पर 1,000 रुपये से 10,000 रुपये प्रति उल्लंघन के जर्माने की सीमा का प्रावधान किया गया है।
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