नई दिल्ली। केरल और पंजाब सहित सात गैर- भाजपा शासित राज्यों और संघ शासित प्रदेश पुड्डुचेरी ने सोमवार को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) राजस्व की क्षतिपूर्ति के लिये राज्यों को कर्ज लेने की केन्द्र सरकार की सलाह को यह कहते हुये खारिज कर दिया कि इस मामले में संवैधानिक देनदारी केन्द्र सरकार की बनती है। छह गैर भाजपा शासित राज्यों- पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना -- का मानना है कि जीएसटी राजस्व की कमी की भरपाई के लिये कोई वैकल्पिक प्रणाली तैयार की जानी चाहिये। राजस्थान और पुड्डेचेरी ने भी इस मामले में क्षतिपूर्ति के लिये इन राज्यों का अनुसरण करने की बात कही है। केरल के वित्त मंत्री थामस इस्साक ने कहा कि पंजाब, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ, तेलंगाना और केरल के वित्त मंत्रियों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के केन्द्र सरकार के विकल्प को खारिज करने को लेकर सहमति जताई है। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में हमारा विकल्प यह है कि यह चाहे दैवीय, मानवीय अथवा प्राकृतिक किसी भी तरह की घटना है केन्द्र सरकार को जीएसटी क्षतिपूर्ति की पूरी राशि बाजार से उठानी चाहिये और जीएसटी उपकर लगाने की अवधि का और विस्तार कर के उस राशि को खुद लौटाना चाहिये।’’
वहीं पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर केन्द्र सरकार द्वारा सुझाये गये विकल्पों पर पूरी स्पष्टता की मांग की है और इस मुद्दे पर तुरंत जीएसटी परिषद की बैठक बुलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पंजाब इस परेशान करने वाली समस्या का समाधान ढूंढने के लिये मदद करने को तैयार है लेकिन जो विकल्प दिये गये हैं वर्तमान में राज्य उसमें खुद को झोंकने में असमर्थ है। वहीं केरल के वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘बहुत हो चुका है। अब राज्यों के और अधिकारों की कुर्बानी नहीं दी जायेगी। जीएसटी क्षतिपूर्ति हमारा संवैधानिक अधिकार है।’’ चालू वित्त वर्ष के दौरान माल एवं सेवाकर प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी को पूरा करने को लेकर केन्द्र और विपक्ष शासित राज्य एक दूसरे के आमने सामने हैं। केन्द्र का अनुमान है कि इसमें से 97,000 करोड़ रुपये की राशि ही जीएसटी क्रियान्वयन की वजह से कम हुई है जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये की कम प्राप्ति का कारण कोविड- 19 महामारी है।
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