नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना भारत की अर्थव्यवस्था का कम नगदी का इस्तेमाल करने वाली बनाने का है और इसके लिए कई प्रोत्साहन और पुरस्कार योजनाएं भी सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं। सरकार के इन तमाम प्रयासों का दायरा शहरी इलाकों तक ही सीमित है, जहां पहले से ही लोग डिजिटल लेनदेन के प्रति जागरूक हैं और इसका इस्तेमाल भी पहले की तुलना में यहां काफी बढ़ चुका है।
नगदी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल छोटे कस्बों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा होता है, जहां सरकार अभी तक इंफ्रास्ट्रक्चर भी खड़ा नहीं कर पाई है। ऐसे में जब तक ग्रामीण इलाकों में डिजिटल लेनदेन को नहीं अपनाया जाता, तब तक सरकार के सभी दावे बेमानी नजर आते हैं।
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खुद सरकार ने यह माना है कि देशभर में अभी भी 50,000 गांव ऐसे हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंचा है। दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा के मुताबिक पूर्वोत्तर, नक्सल प्रभावित राज्यों, अंडमान और निकोबार द्वीप तथा लक्ष्यद्वीप में ऐसे कई स्थान हैं, जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंचा है।
सभी राज्यों से मांगी गई है जानकारी
मनोज सिन्हा ने बताया कि उन्होंने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि उनके मंत्रालय को यह जानकारी उपलब्ध कराई जाए कि उनके राज्य में कितने गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंचा है।
ढाई में से एक लाख गांव तक पहुंचा भारतनेट
सिन्हा ने बताया कि महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भारतनेट के तहत तकरीबन सभी 2,50,000 ग्राम पंचायतों को 100 एमबीपीएस ब्रॉडबैंड कनेक्टीविटी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। पहले चरण के तहत अभी तक 1,00,000 ग्राम पंचायतों को इससे जोड़ा जा चुका है।
उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2017 तक 11,294 किलोमीटर (4,780 ग्राम पंचायत) तक लाइन बिछाई जा चुकी है, 12,172 किलोमीटर (4,213 ग्राम पंचायत) तक ऑप्टीकल फाइबर केबल बिछाई जा चुकी है और 443 ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टीविटी उपलब्ध कराई जा चुकी है।
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