नई दिल्ली। होम क्रेडिट इंडिया के एक शोध में इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस के कारण लगे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान 46 प्रतिशत भारतीयों ने अपनी गृहस्थी चलाने के लिए उधार का सहारा लिया है। अपने परिवार की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर चार में से एक भारतीय ने अपने दोस्त या परिवार से उधार लिया है। जहां अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 46 प्रतिशत ने उधार लिया, वहीं 27 प्रतिशत लोगों ने ईएमआई का भुगतान करने के लिए उधारी का सहारा लिया है। इनमें से 14 प्रतिशत लोगों को इसलिए उधार लेना पड़ा क्योंकि उन्होंने कोविड-19 के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में अपनी नौकरी खो दी थी।
मुंबई और भोपाल में सबसे ज्यादा लोगों ( 27 प्रतिशत) ने उधार लिया है। इसके बाद क्रमश: दिल्ली (26 प्रतिशत) और पटना (25 प्रतिशत) का स्थान रहा। साल 2019 में भी 46 प्रतिशत लोगों ने उधार लिया था। इनमें से 33 प्रतिशत ने अपनी जीवनशैली के स्तर को उठाने के लिए जबकि बाकियों ने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उधार लिया था।
इस नतीजे से पता चलता है कि कोरोना वायरस महामारी का देश की अर्थव्यवस्था और समाज में लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा है। किसी की नौकरी चले जाने और वेतन में हो रही भारी कटौती के कारण निम्न-मध्यम आय वर्ग को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। महामारी ने ऋण और उधार की वरीयताओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाया है।
यूरोप और एशिया में परिचालन वाली इंटरनेशल कंज्यूमर फाइनेंस की स्थानीय इकाई होम क्रेडिट इंडिया ने कोविड लॉकडाउन के दौरान लोगों की उधार लेने की आदतों के बारे में पता करने के लिए यह अध्ययन 7 शहरों में किया था। अध्ययन में पता चला कि 46 प्रतिशत लोगों ने अपने घर के खर्च को पूरा करने के लिए उधार का सहारा लिया। वेतन कटौती और वेतन में देरी ऐसे प्रमुख कारण रहे, जिनकी वजह से अधिकांश लोगों को उधार लेना पड़ा। ईएमआई का भुगतान उधार लेने का दूसरा सबसे बड़ा कारण था।
अध्ययन से एक और खुलासा हुआ कि कोविड के दौरान लोगों ने अपने दोस्तों या परिवार से उधार लेने को प्राथमिकता दी क्योंकि यह उन्हें पैसा लौटाने के लिए अधिक लचीलापन देते हैं। उधार लेने वाले लोगों में से 50 प्रतिशत का कहना था कि स्थितियां सामान्य होने या नई नौकरी मिलने पर वह उधार को चुका देंगे। 13 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह अपना लोन चुकाने के बाद लिए गए उधार को चुकाएंगे।
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