देश में 31 दिसंबर तक हुआ 77.95 लाख टन चीनी का उत्पादन, किसानों को गन्ने का भुगतान समय पर होने की है संभावना
केंद्र सरकार द्वारा 2019-20 चीनी वर्ष के लिए एफआरपी में वृद्धि नहीं की गई है।
नई दिल्ली। देश में 437 चीनी मिलों ने 31 दिसंबर, 2019 तक कुल 77.95 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। पिछले साल की समान अवधि में 507 मिलों ने 111.72 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। इस लिहाज से देखा जाए तो अभी चीनी का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 32 प्रतिशत कम है।
महाराष्ट्र में 137 चीनी मिलें परिचालन में हैं और उन्होंने 31 दिसंबर तक 16.50 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। पिछले साल समान अवधि में यहां 187 मिलें चालू थी और उन्होंने कुल 44.57 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। आयुक्त (चीनी) महाराष्ट्र के मुताबिक अहमदनगर और औरंगाबाद जिले में स्थित दो चीनी मिलों ने अपना परिचालन बंद कर दिया है, इसके पीछे वजह श्रमिकों की अनुपलब्धता और गन्ने की कम आवक बताई गई है।
उत्तर प्रदेश में, 31 दिसंबर, 2019 तक 119 चीनी मिलों ने कुल 33.16 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। पिछले साल 31 दिसंबर, 2018 तक यहां 117 चीनी मिलों ने 31.07 लाख टन चीनी का कुल उत्पादन किया था। कर्नाटक में 63 चीनी मिलों ने 31 दिसंबर, 2019 तक 16.33 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, इसके विपरीत पिछले साल समान अवधि में यहां 65 चीनी मिलों ने 21.03 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था।
गुजरात में 15 चीनी मिलों ने 2019-20 चीनी वर्ष में 31 दिसंबर, 2019 तक 2.65 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। 31 दिसंबर, 2018 तक यहां 16 चीनी मिलों ने 4.29 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 18 चीनी मिलों ने 31 दिसंबर, 2019 तक कुल 96000 टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि 31 दिसंबर 2018 को यहां 24 मिलों ने एक लाख टन चीनी का उत्पादन किया था।
तमिलनाडु में 31 दिसंबर, 2019 तक केवल 16 चीनी मिलों में पेराई शुरू हुई है, जबकि पिछले साल यहां 27 मिलों में पेराई शुरू हो चुकी थी। यहां मिलों ने कुल 95000 टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल यहां 1.51 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। 31 दिसंबर, 2019 तक बिहार में 2.33 लाख टन, हरियाणा में 1.35 लाख टन, पंजाब में 1.60 लाख टन, उत्तराखंड में 1.06 लाख टन और मध्य प्रदेश में 1 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।
केंद्र सरकार द्वारा 2019-20 चीनी वर्ष के लिए एफआरपी में वृद्धि नहीं की गई है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में राज्य सरकारों ने भी स्टेट एडवाइज्ड प्राइस और एक्स-मिल प्राइस को स्थिर रखा है, इस वजह से चीनी मिलें किसानों को गन्ने का भुगतान समय पर करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।