नयी दिल्ली। देरी और अन्य कारणों से देश की 361 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की लागत में कुल 3.77 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो चुकी है। ये सभी परियोजनाएं 150 करोड़ रुपए और उससे अधिक लागत वाली हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए और उससे अधिक की लागत की परियोजना की निगरानी करता है। कुल 1,623 परियोजनाओं में से 361 परियोजनाओं की लागत बढ़ गई है और 496 परियोजनाओं में देरी हुई है।
मंत्रालय की मई, 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 1,623 परियोजनाओं की कुल मूल लागत 19,25,107.47 करोड़ रुपए थी। अब इन परियोजनाओं के पूरे होने की अनुमानित लागत बढ़कर 23,02,230.50 करोड़ रुपए के आसपास हो चुकी है। इसके चलते परियोजनाओं की लागत में मूल लागत से 19.59 प्रतिशत यानी 3,77,123.03 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, इन परियोजनाओं पर मई, 2019 तक 8,91,512.91 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यह परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 38.72 प्रतिशत है।
हालांकि, रिपोर्ट कहती है कि परियोजनाओं को पूरा करने के नए कार्यक्रमों को देखा जाए तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 399 रह गई है। देरी से चल रही कुल 496 परियोजनाओं में से 166 परियोजनाएं एक से 12 महीने, 105 परियोजनाएं 13 से 24 महीने, 128 परियोजनाएं 25 से 60 महीने और 97 परियोजनाएं 61 या उससे अधिक महीने की देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न एजेंसियों के मुताबिक, परियोजनाओं में देरी की मुख्य वजहें भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाना, वन मंजूरी मिलने में विलंब और उपकरणों की आपूर्ति में देरी हैं।
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