नई दिल्ली। बुनियादी ढांचा क्षेत्र (इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर) की 343 परियोजनाओं की लागत में विलंब और अन्य वजहों से 2.23 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। ये सभी परियोजनाएं 150 करोड़ रुपए या उससे अधिक की हैं। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए या उससे अधिक मूल्य की परियोजनाओं की निगरानी करता है।
मंत्रालय की अप्रैल 2018 की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 1,332 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की लागत 16,26,675.52 करोड़ रुपए थी। अब इन परियोजनाओं को पूरा करने की लागत करीब 18,49,766.91 करोड़ रुपए बैठने का अनुमान है। इस तरह परियोजनाओं की लागत में करीब 2,23,091.39 करोड़ रुपए या मूल लागत से 13.71 प्रतिशत अधिक बैठेगी।
इन 1,332 परियोजनाओं में 343 परियोजनाओं की लागत बढ़ी है जबकि 253 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनके क्रियान्वयन के समय में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल,2018 तक इन परियोजनाओं पर कुल 6,63,109.75 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं जो इन परियोजनाओं पर अनुमानित कुल खर्च का 35.85 प्रतिशत बैठता है।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि परियोजनाओं को पूरा करने की समयावधि को लिया जाए, तो देरी वाली परियोजनाओं की संख्या घटकर 187 रह जाएगी।
करीब 634 परियोजनाओं के चालू होने के समय के बारे में रिपोर्ट में कुछ नहीं बताया गया है। 253 देरी वाली परियोजनाओं में से 59 में एक से 12 महीने, 48 में 13 से 24 महीने, 76 में 25 से 60 महीने और 70 में 61 महीने या उससे अधिक का विलंब हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि इन परियोजनाओं में देरी की वजह भूमि अधिग्रहण में समस्या, वन मंजूरी, उपकरणों की आपूर्ति, कोष की कमी, नक्सलवादियों की घुसपैठ, कानूनी मामलों की वजह से हुई है।
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