नई दिल्ली। भारत की दूसरी सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी खरीदने के लिए सरकार को शुरुआती स्तर पर तीन बोलियां प्राप्त हुई हैं। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद प्रधान ने बुधवार को यह जानकारी दी। वेदांता ने 18 नवंबर को स्पष्ट कर दिया था कि उसने बीपीसीएल में सरकार की 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के लिए अभिरुचि पत्र जमा कराया है। अन्य दो बोलीदाताओं में वैश्विक फंड शामिल हैं, जिसमें एक अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट है।
प्रधान ने कहा कि सरकार कुछ सार्वजनिक कंपनियों का निजीकरण करने पर विचार कर रही है, ताकि उन्हें पेशेवर और प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार कुछ सार्वजनिक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार बीपीसीएल में अपनी संपूर्ण 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है। सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में 2.1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है और बीपीसीएल की बिक्री इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए की जा रही है। पिछले साल नवंबर में बीपीसीएल के बेचने की घोषणा के बाद से इसका शेयर भाव घटकर एक चौथाई रह गया है। बुधवार को बीएसई पर इसका भाव 385 रुपये था, जिसके हिसाब से बीपीसीएल मे 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य केवल 44,200 करोड़ रुपये है। इसके साथ ही बोलीदाता को अन्य 26 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करने के लिए ओपन ऑफर पेश करना होगा, जिसकी लागत लगभग 21,600 करोड़ रुपए होगी।
सूत्रों ने बताया कि ट्रांजैक्शन एडवाइजर्स ने अभिरुचि पत्रों का मूल्याकंन शुरू कर दिया है और इसे अंतिम रूप देने में दो से तीन हफ्ते का वक्त लगेगा। इसके बाद प्रस्ताव के लिए आवेदन जारी किए जाएंगे और वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।
बीपीसीएल मुंबई, कोची, बीना और नुमालीगढ़ में चार रिफाइनरी का संचालन करती है, जिसकी संयुक्त क्षमता 3.83 करोड़ टन प्रति वर्ष है। बीपीसीएल के पास 17,355 पेट्रोल पंप, 6156 एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एजेंसी और देश में 256 एविएशन फ्यूल स्टेशन में से 61 स्टेशन हैं। बीपीसीएल 22 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत की दूसरी सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी है।
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