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GST 2nd anniversary: उद्योग जगत ने कहा- GST 2.0 लागू करने का समय, स्लैबों की संख्या घटाई जाए

उद्योग जगत ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की दूसरी वर्षगाँठ पर सरकार को बधाई देते हुये इसे सरल बनाने की दिशा में जीएसटी परिषद् के काम की सराहना की है तथा कहा है कि अब 'जीएसटी 2.0' की ओर बढ़ते हुये इसमें स्लैबों की संख्या कम की जाए।

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नयी दिल्ली। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को लागू हुए दो साल पूरे हो गए हैं। भारतीय उद्योग ने ऐसे में राय जताई है कि अब इस कर सुधार का तेजी से दूसरा चरण शुरू होना चाहिए और जीएसटी के दायरे में बिजली, तेल एवं गैस, रीयल एस्टेट और अल्कोहल को लाया जाना चाहिए। साथ ही कर के स्लैब को दो-तीन तक सीमित किया जाना चाहिए।

उद्योग जगत ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने की दूसरी वर्षगाँठ पर सरकार को बधाई देते हुये इसे सरल बनाने की दिशा में जीएसटी परिषद के काम की सराहना की है तथा कहा है कि अब 'जीएसटी 2.0' की ओर बढ़ते हुये इसमें स्लैबों की संख्या कम की जाए, पेट्रोलियम, रियल इस्टेट और बिजली को शामिल किया जाए तथा 'एक देश, एक पंजीकरण' की व्यवस्था हो। बता दें कि देश में नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली जीएसटी 01 जुलाई 2017 को लागू की गयी थी। इसमें कर के चार स्लैब पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत तय किए गए हैं।

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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि जीएसटी 2.0 भारतीय अर्थव्यवस्था को वृद्धि के अगले चरण पर ले जाएगा। सीआईआई ने अखिल भारतीय स्तर पर एकल पंजीकरण प्रक्रिया की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि हम जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू करने तथा महज दो साल में इसे स्थिरता प्रदान करने के लिए जीएसटी परिषद् और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड की प्रशंसा करते हैं। जीएसटी परिषद उद्योग जगत के समक्ष आने वाले हर मुद्दे को स्वयं पहल कर हल कर रही है। जीएसटी 2.0 भारतीय अर्थव्यवस्था को विकास के अगले स्तर पर ले जायेगा।

एक अन्य उद्योग संगठन फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने भी परिषद के काम की तारीफ करते हुये कहा कि जीएसटी परिषद् एवं कर प्रशासकों ने पिछले दो साल में इसे लगातार सरल बनाने, करों की दरों को तर्कसंगत करने और कर आधार बढ़ाने के लिए जिस तरह से काम किया है वह प्रशंसनीय है। अब हमें जीएसटी ढाँचे के निहित उद्देश्य की ओर बढ़ने की जरूरत है जिससे सही मायने में देश में कारोबार करना आसान हो सके।

उद्योग मंडल ने कहा कि जब अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) के सदस्य राज्य कर या केंद्रीय कर विभाग के अधिकारी होते हैं तो झुकाव राजस्व की ओर रहता हैं। इसी आधार पर वे जीएसटी कानून की व्याख्या करते हैं और फैसला सुनाते हैं। फिक्की ने कहा कि विभिन्न राज्यों में राजस्व अधिकारियों के अलग-अलग फैसलों से एक असमंजस पैदा हुआ है। उद्योग मंडल ने सुझाव दिया कि सरकार को पूर्ववर्ती अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की तर्ज पर ही सरकार को एक स्वतंत्र उच्चस्तरीय केंद्रीय निकाय के गठन पर विचार करना चाहिए। 

सीआईआई के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ उद्योगपति आदि गोदरेज ने कहा कि दो साल में जीएसटी मजबूत हुआ और इसने अच्छे परिणाम दिए हैं। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारतीय उद्योग जगत ने भी काफी लचीला रुख दिखाया है और जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू करने में मदद दी है। 

दोनों संगठनों ने कर के स्लैबों की संख्या घटाने की मांग की है। फिक्की ने इसे चार से घटाकर तीन करने की माँग की है। सीआईआई ने भी स्लैबों की संख्या चार से घटाकर दो-तीन करने की मांग की है और कहा है कि 28 प्रतिशत का स्लैब सिर्फ स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह वस्तुओं के लिए रखा जाना चाहिये।

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