नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने एक मई से अबतक कुल 2570 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया है, जिनके माध्यम से 32 लाख प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य पहुंचे हैं। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने बताया कि इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को मुख्यत: राज्यों के अनुरोध पर चलाया जा रहा है। इन ट्रेनों को केंद्र व राज्य के बीच 85:15 प्रतिशत व्यय अनुपात के आधार पर चलाया जा रहा है। रेलवे इन ट्रेनों को चलाने के कुल व्यय का 85 प्रतिशत व्यय खुद वहन कर रही है शेष राशि राज्य दे रहे हैं। रेलवे अधिकारी ने बताया कि एक ट्रेन के परिचालन का औसत खर्च 80 लाख रुपए है और इस हिसाब से 2570 ट्रेनों का चलाने का कुल खर्च 2056 करोड़ रुपए हुआ और इसका 85 प्रतिशत यानी 1747 करोड़ रुपए रेलवे ने खर्च किया है।
कुल 2,570 ट्रेनों में से 505 रेलगाड़ियां अपने गंतव्य तक अभी नहीं पहुंची हैं शेष 2,065 रेलगाडि़यों ने अपनी यात्राएं पूरी कर ली हैं। रेलवे के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 1246 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां पहुंची हैं, इसके बाद बिहार में 804 और झारंखड में 124 रेलगाड़ियां पहुंची हैं।
वहीं गुजरात ने 759, महाराष्ट्र ने 483 और पंजाब ने 291 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से प्रवासी कामगारों को रवाना किया है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के चलते हजारों की संख्या में प्रवासी कामगार पैदल, साइकिलों से अथवा अन्य साधनों से अपने घरों के लिए रवाना होने लगे थे। विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में अनेक प्रवासी कामगारों की मौत भी हुई। इसके बाद रेलवे ने एक मई से कामगारों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू किया।
रेलवे ने अगले 10 दिनों में 2600 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की योजना बनाई है और इनके लिए और 36 लाख मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने कहा कि सामान्य स्थिति की ओर लौटने के प्रयास में रेल मंत्रालय 1 जून से 200 मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चलाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले चार दिनों से औसतन प्रतिदिन 260 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं और प्रतिदिन तीन लाख श्रमिक इनका फायदा उठा रहे हैं।
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