नई दिल्ली। ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की कंज्यूमर फेसिंग सब्सिडियरी फ्लिपकार्ट इंटरनेट के पास 23 कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले वित्त वर्ष में एक करोड़ रुपए सालाना सैलरी हासिल की है। इससे यह संकेत मिलता है कि नए युक की यह कंपनियां सीनियर लेवल पर टेलेंट को आकर्षित करने के लिए बहुत अधिक पैसा खर्च कर रही हैं। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को दी गई जानकारी में फ्लिपकार्ट इंटरनेट ने बताया कि 2014-15 में उसका सैलरी खर्च तीन गुना बढ़कर 476 करोड़ रुपए हो गया है।
फ्लिपकार्ट इंटरनेट के चीफ पीपुल ऑफिसर मेकिन महेश्वरी को 2014-15 में 18.73 करोड़ रुपए का सालना सैलरी मिली है। उनका यह सैलरी पैकेज हिन्दुस्तान यूनीलिवर के चीफ एग्जीक्यूटिव संजीव मेहता और आईटीसी चेयरमैन वायसी देवेश्वसर से भी ज्यादा है। महेश्वरी ने सितंबर इस्तीफा दे दिया है और अब वह एडवाइजरी भूमिका निभा रहे हैं। यह जानकारी केवल फ्लिपकार्ट इंटरनेट की है इसमें अन्य ग्रुप फर्म जैसे होलसेलर फ्लिपकार्ट इंडिया और फ्लिपकार्ट लॉजिस्टिक को शामिल नहीं किया गया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि अन्य ग्रुप कंपनियों को भी शामिल कर लिया जाए तो करोड़पति कर्मचारियों की संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है।
भारत की टॉप कंज्यूमर गुड्स फर्म हिन्दुस्तान यूनीलिवर के पास 169 ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी सालाना सैलरी आठ अंकों में है। आईटी प्रमुख इंफोसिस में 123 ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी सैलरी एक करोड़ रुपए से अधिक है। वहीं विप्रो में ऐसे कर्मचारियों की संख्या 70 है। वेंचर कैपिटल फर्म लाइटबॉक्स वेंचर्स के पार्टनर संदीप मूर्ति ने कहा कि टारगेट हासिल करने के लिए कर्मचारियों पर हमेशा दबाव रहता है, ऐसे में अधिक सैलरी मिलना न्यायोचित है। ई-कॉमर्स में भिन्न तरह के कौशल की जरूरत है, यहां अलग तरह के दिमाग वाले लोग चाहिए, जिनकी रिस्क लेने की इच्छा हो। ऐसे में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए सही व्यक्ति की खोज करना मुश्किल होता है और यही वजह है कि वह ऐसे लोगों को अपने साथ लंबे समय तक बनाए रखने के लिए इतना अधिक भुगतान करती हैं।
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