नई दिल्ली। सरकार ने ‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’ को 31 मार्च 2020 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी है। इसके लिए 33,269 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह विभिन्न कृषि योजनाओं को मिलाकर चलाया जा रहा एक वृहद कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम को कृषि क्षेत्र की 11 विभिन्न योजनाओं को जोड़कर पिछले वर्ष शुरु किया गया। अब इस योजना को 12वीं पंचवर्षीय योजना के भी आगे जारी रखने को मंजूरी दी गई है। 12वीं पंचवर्षीय योजना मार्च में समाप्त हो गई है।
कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने कृषि क्षेत्र की वृहत योजना ‘हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’ को 33,269.978 करोड़ रुपए की केन्द्रीय अंशधारिता के साथ 12वीं पंचवर्षीय योजना के बाद भी वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक के लिए मंजूरी दे दी है।
उन्होंने कहा कि सीसीईए ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुये इस योजना को मंजूरी दी है। प्रसाद ने कहा कि इससे सभी योजनाओं की बेहतर निगरानी में मदद मिलेगी।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि इन सभी योजनाओं/मिशनों को अलग-अलग योजना/मिशन के रूप में स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन और अनुमोदन किया गया था। वर्ष 2017-18 में, एक वृहत योजना 'हरित क्रांति-कृषोन्नति योजना’ के तहत इन सभी योजनाओं/मिशनों को जोड़ने का निर्णय लिया गया।
विलय की गई 11 योजनाएं में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM), एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH), राष्ट्रीय टिकाऊ कृषि मिशन (NMSA), कृषि विस्तार के लिए उप-मिशन (SMAE), बीज और पौधरोपण सामग्री पर उप-मिशन (SMSP), कृषि मशीनीकरण (SMAM) पर उप-मिशन और संयंत्र संरक्षण और संयंत्र क्वारंटाइन (SMPPQ) पर उप-मिशन शामिल हैं।
कृषि जनगणना, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी (ISACES) पर एकीकृत योजना, कृषि सहयोग पर एकीकृत योजना (ISAC), कृषि विपणन पर एकीकृत योजना (ISAM) और राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NEGP-A) को भी इस वृहद योजना में शामिल कर लिया गया है।
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