आज खुलेगा मोदी सरकार का बजट पिटारा, वोटर्स को लुभाने के लिए हो सकती हैं ये बड़ी घोषणाएं
उद्योग सूत्रों और विशेषज्ञों के अनुसार वित्त मंत्री गोयल अंतरिम बजट पेश करने के अलावा ग्रामीण और शहरी मध्यम वर्ग के वोटर्स को लुभाने के लिए कुछ लुभावनी घोषणाएं कर सकते हैं।
नई दिल्ली। आम चुनाव से पहले वोटर्स को लुभाने की आखिरी कोशिश के तहत मोदी सरकार द्वारा शुक्रवार को पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में वित्त मंत्री पीयूष गोयल व्यक्तिगत आयकर में छूट, किसानों के लिए राहत पैकेज, लघु उद्योगों को वित्तीय समर्थन और संभावित लोकलुभावन खर्च उपायों की घोषणा कर सकते हैं।
उद्योग सूत्रों और विशेषज्ञों के अनुसार वित्त मंत्री गोयल अंतरिम बजट पेश करने के अलावा ग्रामीण और शहरी मध्यम वर्ग के वोटर्स को लुभाने के लिए कुछ लुभावनी घोषणाएं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का यह छठा और अंतिम बजट है। परंपरा के मुताबिक, निवर्तमान सरकार केवल सीमित अवधि के खर्च के लिए संसदीय मंजूरी मांगती है और पूर्ण बजट नई सरकार द्वारा जुलाई में पेश किया जाता है।
विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा किसानों का कर्ज माफ करने और गरीबों को न्यूनतम आय प्रदान करने की घोषणा के बाद वित्त मंत्री गोयल अपने बजट भाषण में किसानों के लिए प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण की घोषणा कर सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को किसानों व मध्यम वर्ग के नाराज होने से काफी नुकसान हुआ है और मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ की सरकार उसके हाथ से निकल गई है।
सूत्रों के मुताबिक कृषि राहत पैकेज से सरकार के खजाने पर 70 हजार से एक लााख् करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इतना ही नहीं गोयल शहरी करदाताओं को लुभाने के लिए आयकर छूट सीमा को बढ़ाने की भी घोषणा अपने भाषण में कर सकते हैं। 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तिगत करदाताओं के लिए बेसिक छूट सीमा को मौजूदा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया जा सकता है। 60 से 80 वर्ष के करदाताओं के लिए इस सीमा को मौजूदा 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक महिला करदाताओं को बेसिक छूट 3.25 लाख रुपए या वरिष्ठ नागरिकों के समान मिल सकती है।
इसके अलावा छूट सीमा बढ़ाने के एक विकल्प के तौर पर 80सी के तहत कटौती सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपए से बढाकर 2 लाख रुपए किया जा सकता है। हाउसिंग प्रोजेक्ट में हो रही देरी और बढ़ती ब्याज दरों के मद्देनजर सरकार हाउसिंग लोन पर दिए जाने वाले ब्याज छूट की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर सकती है।
सूत्रों ने बताया कि ऐसी भी संभावना है कि बजट में लघु उद्योगों को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने और ग्रामीण खर्च में वृद्धि करने जैसी घोषणाएं भी हो सकती हैं। कृषि क्षेत्र के लिए, बजट में तेलंगाना के रायदू बंधु मॉडल की तर्ज पर किसानों को प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण योजना, समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों को ब्याज मुक्त कृषि ऋण और खाद्यन्न फसलों के बीमा पर शून्य प्रीमियम जैसी घोषणाएं हो सकती हैं।
गोयल अपने बजट में लोकलुभावन योजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराने हेतु आरबीआई से उच्च अंतरिम लाभांश की मांग कर सकते हैं और उर्वरक एवं एलपीजी के साथ-साथ केरोसीन के लिए किए जाने वाले सब्सिडी भुगतान को टाल सकते हैं।
सूत्रों ने बताया कि सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम (यूबीआई) पर भी विचार कर रही है। भारत के संबंध में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की अवधारणा आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में पेश की गई थी। हालांकि, पूरी आबादी के लिए यूबीआई उच्च राजकोषीय घाटे की ओर ले जाएगी। वास्तव में, विभिन्न सब्सिडी और सामाजिक खर्च में कटौती किए बगैर पूरी आबादी के लिए यूबीआई को लागू करना व्यवहारिक नहीं होगा। हालांकि सरकार 2011 की जनगणना के आधार पर अत्यंत गरीबों (बीपीएल जनसंख्या का 40 प्रतिशत) को यूबीआई में शामिल कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार अत्यधिक गरीब लोगों को 700 रुपए से लेकर 1200 रुपए प्रति माह की रकम प्रदान कर सकती है, ऐसे गरीब लोगों की संख्या लगभग 12 करोड़ है और इससे सरकार पर 1 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।